वाद-विवाद के बाद नए सिद्धांत निकलते हैं- डॉ. जीतराम भट्ट
14 सितंबर हिन्दी दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा भी हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 13 से 18 सितंबर, 2022 तक हिंदी सप्ताह के रूप में अकादमी के मुख्यालय, सामुदायिक भवन, पदम नगर, किशन गंज, दिल्ली में मनाया जा रहा है।








विगत दिनों "हिन्दी ही देश की एकता के लिए राष्ट्रभाषा हो सकती है" विषय के पक्ष और विपक्ष में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

निर्णायक मंडल के सदस्यों के रूप में कवि-साहित्यकार डॉ. विवेक गौतम, श्री अरविन्द पथिक व श्रीमती कमलेश सिंह अपना निर्णय देने के लिए प्रतियोगिता में आमंत्रित थे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी अकादमी की संचालन समिति के सदस्य श्री वीरेन्द्र सिंह यादव एवं श्री सुशील कुमार उपस्थित थे।

इस प्रतियोगिता की प्रस्तावना में हिंदी अकादमी के सचिव संस्कृत के उद्भट विद्वान डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा "हिन्दी ही देश की एकता के लिए राष्ट्रभाषा हो सकती है" विषय पर महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई है। वाद-विवाद वास्तव में एक प्रकार की बहस होती है जिसमें पक्ष और विपक्ष में प्रतिभागियों द्वारा तर्क प्रस्तुत किए जाते हैं। अगर कोई नवीन विचार निकालना हो तो वाद-विवाद होता है और उस वाद-विवाद के बाद नए सिद्धांत निकलते हैं। अतः उस किसी भी सिद्धांत तक पहुंचने के लिए वाद-विवाद किया जाना आवश्यक होता है। किसी नए सिद्धान्त के लिए वाद विवाद प्रतियोगिता आवश्यक है। तो आज इस आयोजित इस वाद-विवाद प्रतियोगिता से यह निकल कर आएगा कि हिन्दी को हमारी राष्ट्रभाषा घोषित किया जाना चाहिए।

विशिष्ट अतिथियों, निर्णायकों एवं सभागार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों व श्रोताओं का अभिनंदन करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ पी दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

विजेता प्रतिभागियों को क्रमशः प्रथम पुरस्कार 15,000/- द्वितीय पुरस्कार 10,000 एवं दो प्रोत्साहन पुरस्कार 7,000/-रुपए प्रदान किए गए।

कार्यक्रम के अंत में अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा कि हम सभी प्रयास करते हैं और शुभकामना देते हैं कि हिंदी राष्ट्रभाषा बने। विद्यार्थियों की हिन्दी के प्रति रुचि और उनके कौशल को पहचानने का कार्य हिन्दी अकादमी प्रति वर्ष इसी प्रकार कार्यक्रम जारी रखने का प्रयास करेगी।

प्रतियोगिता के समापन पर अकादमी के उप सचिव शिक्षाविद् और साहित्य-सेवी श्री ऋषि कुमार शर्मा ने कहा कि युवा जो सोचते हैं वो करते हैं। हमारा सम्मान विदेशों में अच्छी हिन्दी बोलने से ही होगा। किन्तु हमें अपनी मातृभाषा तो आनी ही चाहिए अन्य भाषाओं को भी सीखना चाहिए।
उन्होंने सभी अतिथियों व अकादमी के सदस्यों का इस प्रतियोगिता में उपस्थित होने की सहमति प्रदान करने के लिए धन्यवाद भी ज्ञापित किया।


रिपोर्ट- जगदीश चंद्र शर्मा, कार्यक्रम अधिकारी
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