डीओपीटी की गाइडलाइन्स लागू कराने की जिम्मेदारी किसकी है ???

’’डीओपीटी गाइडलाइंस का उल्लंघन होने से ही पेंशन के पेंडिग मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। गाइडलाइंस लागू करने की जिम्मेदारी विजिलेंस विभाग की है या सम्बंधित विभाग की? यह स्पष्ट किया जाए।

विजिलेंस विभाग स्टेटस रिपोर्ट भेजता है और रिटायर्ड कर्मचारी का विभाग विजिलेंस क्लियरेंस मांगता रहता हैं। उत्पीड़न सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी का होता है। डीओपीटी की गाइडलाइंस लागू कराने की जिम्मेदारी किसकी है? यह स्पष्ट किया जाना चाहिए।‘‘ 
- डी. एन. सिंह, राष्ट्रीय कन्वीनर, ऑल इंडिया रिटायर्ड पब्लिक सर्वेन्ट्स फोरम!
डी. एन. सिंह
पूरा जीवन पब्लिक सेवा में समर्पित करके रिटायर होने वाले कर्मचारियों एवं अधिकारियों को उनके सेवा निवृत्ति के मिलने वाले सारे देय का भुगतान सम्मान रिटायरमेन्ट के दिन ही किया जाना चाहिए। इस बारे में समय-समय पर प्रशासन द्वारा आदेश जारी होते रहते हैं। ऐसा किया भी जाना चाहिए ताकि रिटायर्ड अधिकारी बाइज्जत अपना भावी रिटायर्ड  जीवन को ठीक से प्लान कर सके।
लेकिन दिल्ली सरकार में पेंशनर्स की स्थिति काफी दयनीय है। हजारों की तादाद में रिटायर्ड अधिकारी कर्मचारी पोस्ट रिटायरमेंट बेनिफिट्स के लिए अपने विभाग, पीएओ, विजिलेंस विभाग और कोर्ट्स के चक्कर काटते मिल जाते है।
दास केडर की वेलफेयर एसोसिएशन के एक्स प्रेसीडेंट और कर्मचारी नेता डी.एन. सिंह का कहना है कि दिल्ली में सबसे ज्यादा पीड़ित दास केडर के कर्मचारी व अधिकारी है, इनके साथ सीनियर अधिकारियों द्वारा बिल्कुल दासों के जैसा ही व्यवहार किया जाता है। गजेटिड अधिकारियों की विजिलेंस क्लियरेंस के मामले में विजिलेंस विभाग के अधिकारियों द्वारा डीओपीटी की गाइडलाइंस की अवहेलना और विजिलेंस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पेंशन केस के पेंडिंग होने की सबसे बड़ी वजह है।
ऑल इण्डिया रिटायर्ड पब्लिक सर्वेन्ट्स फोरम के जनरल सेक्रेटरी आर एस छिकारा बताते है कि कई वर्षों पुरानी शिकायतें जिन पर कोई कार्यवाही नही होती या कार्यवाही होने लायक शिकायत ही नही होती अथवा कुछ कमेंट्स वगैरा लेकर विभाग स्तर पर ही फाइल कर दी जाती है, और इनका प्रोपर रिकॉर्ड नही होता है, उन्हें विजिलेंस विभाग के कुछ कर्मचारी एवं अधिकारी सजोकर रखते है और अधिकारियों के रिटायरमेंट के समय उन्हें निकाल कर इनकी आड़ में रिटायर होने वाले अधिकारियों को ब्लैकमेल करके करप्शन करते हैं। रिटायर्ड अधिकारियों /कर्मचारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विजिलेंस विभाग में कार्यरत सेक्शन ऑफिसर्स कुनाल प्रभाकर और चन्द्रेश गुप्ता और विजिलेंस क्लियरेंस रिपोर्ट जारी करने वाले उपसचिव बुनियाद सिंह रिटायर्ड अधिकारियों के साथ गलत व्यवहार एवं उत्पीडन करने के मामले में पूरी दिल्ली में काफी बदनाम है। पता चला है कि बुनियाद सिंह रिवेन्यू विभाग में सबरजिस्ट्रार के पद पर कार्य करने के दौरान भष्ट्राचार के मामले में निलम्बित भी हुए थे और सेवा विभाग में कार्य करते वक्त वे ट्रांसफर पोस्टिंग गैंग के मुख्य कारिंदे थे। बताया जाता है कि मनचाही पोस्टिंग कराने के लिए इनसे शाम को संपर्क करो तो सुबह पसंदीदा पोस्ट पर पोस्टिंग का ऑर्डर मिल जाता था। इस बारे में पूरा दास केडर जानता है। पिछले दो-तीन सालों में इन्होंने जिन अधिकारियों के विजिलेंस क्लियरेंस डीओपीटी की गाइडलांइस के अनुसार जारी नही किए है उन्हें बुलाकर इन अधिकारियों के बारे में फीडबैक लिया जाना चाहिए। इन तथ्यों की जांच कराकर उचित कार्यवाही की जाएं। ऐसे बदनाम अधिकारियो को सतर्कता विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग से तुरन्त हटाया जाना चाहिए।
श्री छिकारा ने बताया कि जनवरी 21 में जीएसटी विभाग से रिटायर हुए एसिस्टेंट कमिश्नर ए. के .यादव को 10 वर्ष पुरानी शिकायत का हवाला देकर विजिलेंस क्लीयरेंस जारी नही किया। शिकायत के समय ए. के.यादव बीडीओ के पद पर कार्यरत थे। रिवेन्यू विभाग के विभिन्न कार्यालयों से लिखाकर देने में उन्हें लगभग 6-7 महीने का समय लगा। उसके बाद भी कई महीने तक विजिलेेंस क्लियरेंस जारी नही किया गया और नतीजे के तौर पर लगभग सवा साल तक उन्हें रिटायर्डमेंट बेनिफिट्स नही मिल सके। 
  दूसरा उदाहरण शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ज़ोन 28 भारत भूषण गुप्ता 31 मई 2022 में रिटायर हुए है। उनका विजिलेंस क्लियरेंस भी रिटायरमेंट से चार दिन पूर्व इसी तरह रोक दिया गया था। लेकिन उन्होंने सिफ़ारिश से अथवा सुविधा शुल्क अदा कर जैसे भी हुआ हो विजिलेंस क्लियरेंस मैनेज कर लिया। ऐसी गतिविधि विजिलेंस विभाग में आम हो चुकी है। यह बेहद शर्मनाक स्थिति है। उच्च अधिकारी इन दोनों मामलों की जांच करके विजिलेंस विभाग की वर्तमान कार्यशैली को समझ सकते है। यहाँ भ्रष्टाचार की जड़े गहरी है। इनकी जांच होनी चाहिए।
अजयवीर यादव, जनरल सेक्रेटरी जीएसटीए ने बेहद दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कुत्ता कुत्ते का मीट नही खाता है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों को अपने साथियों का खून पीने में भी कोई संकोच नही होता है।
  उन्होंने डी एन सिंह के उत्पीड़न का जिक्र करते हुए कहा कि वे दास केडर के ही नही बल्कि पूरी दिल्ली के बहुत चर्चित और दबंग कर्मचारी नेता रहे है। लेकिन एक फर्जी एफआईआर के बहाने से उनकी विजिलेंस क्लियरेंस रिपोर्ट रोक कर उनकी ग्रेच्यूटी का भुगतान रोक रखा है और फरवरी 2010 से ड्यू एमएसीपी अपग्रेडेशन का बेनिफिट भी सर्विसेज विभाग ने इसी एफ आई आर के बहाने नही दिया है। जबकि 2019 में दर्ज हुई एफआईआर के आधार पर 2010 में ड्यू होने वाले एमएसीपी बेनिफिट रोकना गैर कानूनी है। सर्विस विभाग द्वारा 23 अगस्त 2007 को निकाले गए सर्कुलर में कहा गया है कि एमएसीपी ड्यू होने के वक्त की रिपोर्ट देखनी होती है। लेकिन प्रशासन सरासर गुंडागर्दी पर उतारू है। 
    डी एन सिंह ने इस संबंध में बताया कि न उन्हें उनका अपराध बताया जा रहा है, न कोई आरोप पत्र दिया है और न ही मेरे पोस्ट रिटायरमेंट बेनिफिट दिए जा रहे हैं। इससे मुझे बहुत मानसिक ठेस लगी है। आर्थिक नुकसान देने के साथ ही मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को बिना किसी कारण कलंकित किया जा रहा है। आधारहीन एफ आई आर लिखाने वाले अधिकारी अजय बिष्ट के खिलाफ तो कड़ी कार्यवाही होनी ही चाहिए। उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करके निर्दोष अधिकारियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई और दोषियों को बचा दिया। यह करप्शन और पद के दुरूपयोग का गम्भीर मामला है।

आर एस छिकारा

आर एस छिकारा ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार जी ने इस निर्णय का स्वागत किया जिसमें 15 जून से 15 जुलाई तक स्पेशल ड्राइव चलाकर पेंशन के लंबित मामले निपटाने के लिए मेमोरेंडम 13 जून को सर्विसेज विभाग की तरफ से जारी कराया है और इसे सभी विभागों को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा गया है। लेकिन श्री छिकारा ने जोर देकर कहा कि जब तक डीओपीटी की गाइडलाइंस को सख्ती से लागू नही कराया जाएगा और यह तय नही होगा कि डीओपीटी की गाइडलाइंस को सम्बंधित विभाग लागू करेगा या डीओवी लागू करेगा, तब तक पेंशन के पेंडिंग केसों की स्थिति में कोई सुधार होना मुश्किल है।

अजयवीर यादव
अजयवीर यादव ने बताया कि ‘डीओपीटी की गाइडलाइंस में साफ शब्दों में लिखा हुआ है कि कर्मचाारी निलंबित हो, डिपार्टमेंटल डिसिप्लिनरी प्रोसीडिंग्स के लिए चार्जशीट जारी हो चुकी हो और जांच पेंडिंग हो अथवा किसी कोर्ट में उसके खिलाफ आपराधिक मामला विचाराधीन हो, तभी विजिलेंस क्लियरेंस रोका जा सकता है और अगर कोई रिकवरी का मामला हो तो ही ग्रेच्यूटी का भुगतान रूक सकता है। केवल किसी शिकायत अथवा एफ आई आर दर्ज होने मात्र से विजिलेंस क्लियरेंस या किसी पोस्ट रिटायरमेन्ट बेनिफिट का कोई भुगतान अथवा प्रमोशन नही रोका जा सकता है।’’

लेकिन डीओवी के अधिकारी मामूली और कई कई वर्ष पुरानी शिकायतों के बहाने से विजिलेंस क्लियरेंस की जगह स्टेटस रिपोर्ट भेज देते है। उसके नीचे लिख देते है कि डीओपीटी गाइडलाइंस के अनुरूप एक्शन ले लिया जाये। सम्बंधित विभाग विजिलेंस क्लियरेंस मांगता रहता है, ये स्टेटस रिपोर्ट भेजती रहते है, नतीजे के तौर पर रिटायर्ड अधिकारियों का उत्पीड़न होता रहता है। ऐसे अनेक केस हैं।

अजय वीर डी एन सिंह का उदाहरण देकर समझाते है कि उनके खिलाफ कोई आरोप कभी किसी जांच एजेंसी ने नही लगाया। न कोई ऐसा रिकॉर्ड है जिसके आधार पर आरोप लगाया जा सके, उनके खिलाफ सम्बंधित विभाग चार्जशीट बनाने में  असमर्थता व्यक्त कर चुका है, जीटीबी अस्पताल के विजिलेंस क्लियरेंस ऑफिसर डॉक्टर राकेश कालरा 23 दिसम्बर 2020 को ही लिखकर दे चुके हैं। एंटी करप्शन ब्रांच ने भी कोई चार्जशीट ढाई वर्ष बीतने के बावजूद कोर्ट में नही लगाई है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि उनके पास भी कोई सबूत नही है।
डीओपीटी की गाइड लाइंस का पालन किया जाता तो जनवरी 2021 को रिटायरमेंट के दिन ही उनके सारे पोस्ट रिटारयमेंट बेनिफिट दे दिए जाते। लेकिन विजिलेंस विभाग के अधिकारियों द्वारा डीओपीटी की गाइडलाइंस की अवहेलना करने की वजह से डेढ़ वर्ष से उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।
  डी एन सिंह सभी उच्च अधिकारियों सहित सीएम, डिप्टी सीएम, उपराज्यपाल, चेयरमैन पीजीसी को भी लिखकर दे चुके है, लेकिन सब निरर्थक साबित हो रहा है। बिना किसी आरोप पत्र के ही एक निर्दोष रिटायर्ड अधिकारी का उत्पीड़न जारी है। इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है?
अजयवीर यादव ने कहा कि कायदे में गुरू नानक आई सेंटर के निदेशक, डीडीओ, प्रशासनिक अधिकारी और विजिलेंस विभाग के कार्यालय अधीक्षक और विजिलेंस क्लियरेंस जारी नही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। विजिलेंस विभाग द्वारा पीजीसी और गुरूनानक आई सेंटर को भेजी गई स्टेटस रिपोर्ट भी गलत बनाकर भेजी है, स्टेटस में जीटीबी के 23 दिसम्बर के उस प्त्रका जिक्र ही नही किया है, जिसमें डी एन सिंह को क्लीनचिट दी हुई है। इससे विजिलेंस विभाग के अधिकारियों की नीयत का खोट साफ दिखता है। इनके इरादे नेक नही है।

यदि जल्दी ही यह मामला नही निपटा तो कर्मचारी आन्दोलन के लिए विवश होंगे और इसकी जिम्मेदारी दिल्ली प्रशासन की होगी।
टिप्पणियाँ