शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम किस प्रकार नए कौशल निर्माण कर रहें हैं

शिक्षा का क्षेत्र सार्वभौमिक भी है और अत्यंत गतिशील भी। शिक्षा प्रदान करने और इसे प्राप्त करने में समय के साथ कई परिवर्तन स्वाभाविक रूप से उभर के सामने आ जाते हैं, जिन्हें शिक्षा जगत से जुड़े हुए सभी व्यक्ति और संस्थान के द्वारा सँज्ञान में रखना अनिवार्य हो जाता है।

आधुनिक परिपेक्ष्य में और विशेष तौर से 21सवीं शताब्दी के प्रारम्भ से विश्व में तकनीकी विकास ने अनेक आयाम स्थापित किए जिनका सीधा प्रभाव प्रबल ढंग से शिक्षा के क्षेत्र पर आया ।

शिक्षा मात्र संख्या के दृष्टिकोण से विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्र है और प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन काल में कुछ अवधि के लिए इससे अवश्य जुड़ता है। अच्छा जीवन बिताने और अपने जीविकोपार्जन हेतु पढ़ना लिखना अत्यंत आवश्यक है । शिक्षा को आज पुनः परिभाषित किया जा रहा है और कक्षा की चारदीवारी के अंदर पढ़ने लिखने के अतिरिक्त कई अन्य कौशल सीखने की भी नितांत आवश्यकता है।

प्रशिक्षित समाज और वहाँ के निवासी देश की आर्थिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देने में तभी सक्षम बनते हैं जब वो कार्य कुशल हों और किसी विशिष्ट क्षेत्र में दक्षता प्राप्त कर लें।

ये कार्य और व्यवस्था तो विद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान में सम्भव है और वहाँ के शिक्षकों को भी इस क्षेत्र का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है।

पारम्परिक ढंग से पढ़ने पढ़ाने का समय अब बीत गया है और शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम और नयी रीति से शिक्षा प्रदान करना होगा। यहीं शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

उद्धाहरण के तौर पर STTAR जैसी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थायें इसी उद्धेशय से स्थापित की गयी हैं। इन संस्थायों के माध्यम से शिक्षक अपने सामान्य ज्ञान में वर्धन, विशिष्ट क्षेत्र में अतिरिक्त जानकारी तथा अनेक प्रकार के कौशल सीख सकते हैं।

तकनीकी आज उने ऑन-लाइन शिक्षा प्राप्त करने और बच्चों को इसी प्रणाली से पढ़ाने हेतु भी दक्षता प्रदान करने में सहायक है। सक्रिय रूप से सीखना (Active Learning), प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा (project based learning), प्रयोगशाला में अपने हाथों से तथा संयुक्त ढंग से कार्य करने की संस्कृति को मूल स्वरूप प्रदान करना भी शिक्षकों के प्रशिक्षण का एक अंतरंग हिस्सा है।

आज के शिक्षक के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं जो पूर्व में नहीं थी। अब उनका कार्य और जटिल और कठिन हो गया है। केवल पढ़ाने के अतिरिक्त उनपर बच्चों का भविष्य बनाने का उत्तरदायित्व भी है। आज के शिक्षक को कई क्षेत्रों में दक्षता हासिल करने की आवश्यकता है, और ये सब समग्र प्रशिक्षण के माध्यम से ही सम्भव है। एस इ ल, डिज़ाइन थिंकिंग, स्वास्थ्य पाठ्यक्रम तथा मूल्य आधारित शिक्षा भी एक शिक्षा का अभिन्न अंग बन गए हैं।

अच्छा शिक्षक सर्वप्रथम एक छात्र है और वही सफल शिक्षक है जो जीवन भर उसी भूमिका में रह कर निरंतर अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करता है।

विनोद मल्होत्रा, अध्यक्ष, अकादमिक परिषद, सामर्थ शिक्षक प्रशिक्षण अकादमी ऑफ रिसर्च (STTAR)

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