एनटीपीसी ने ब्रिक्स देशों के दो दिवसीय ग्रीन हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन का आयोजन किया



देश की सबसे बड़ी ऊर्जा एकीकृत कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने ग्रीन हाइड्रोजन पर दो दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत की। ग्रीन हाइड्रोजन वर्तमान समय में सबसे लोकप्रिय और मांग वाले क्षेत्रों में से एक है और इसे ऊर्जा का अगला वाहक माना जाता है।

ग्रीन हाइड्रोजन पर ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) देशों के प्रमुख विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और इस विषय पर अपने विजन और पेशेवर विचारों के साथ-साथ ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में अपने देशों में चल रहे नवीनतम विकास से जुड़ी जानकारी को साझा किया।

ब्रिक्स वर्चुअल शिखर सम्मेलन के मुख्य वक्ता थे- सुश्री एग्नेस एम दा कोस्टा (खान और ऊर्जा मंत्रालय, ब्राजील), श्री कोवालेव एंड्री (रशियन एनर्जी एजेंसी, रूस), डॉ प्रकाश चंद्र मैथानी, (वैज्ञानिक जी, एमएनआरई, भारत सरकार), सुश्री फू तियानी (नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन आॅफ चाइना), श्री मक्गाबो एच त्सिरी (अंतरराष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय ऊर्जा विभाग, दक्षिण अफ्रीका)।

अपने मुख्य वक्ता संबोधन में विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री आलोक कुमार ने कहा, ‘‘सरकार और उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि मौजूदा नियम निवेश की राह में अनावश्यक बाधा उत्पन्न नहीं करें। बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन के सुरक्षित परिवहन और भंडारण और उत्पत्ति के काॅमन स्टैंडर्ड होने से व्यापार को लाभ होगा। ब्रिक्स देश इन पहलुओं पर मिलकर काम कर सकते हैं।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘भारत ने हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से निजी क्षेत्र से जुड़े उर्वरकों, रिफाइनरियों के लिए हाइड्रोजन खरीद दायित्वों को शुरू करने के लिए एक महत्वाकांक्षी नेशनल हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है।’’

अपने स्वागत भाषण में, एनटीपीसी लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री गुरदीप सिंह ने कहा, ‘‘पांच ब्रिक्स देशों में दीर्घकालिक विकास और समावेशी आर्थिक विकास का एक संयुक्त और साझा दृष्टिकोण है। ब्रिक्स देशों के एजेंडे में ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना और सभी के लिए किफायती, विश्वसनीय, सुलभ और सुरक्षित ऊर्जा सुनिश्चित करना हमेशा महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन न केवल हाइड्रोकार्बन ईंधन पर भारत की आयात निर्भरता को कम करेगा, बल्कि इससे देश अपने नागरिकों को स्वच्छ हवा भी प्रदान कर सकेगा। साथ ही देश में जीएचजी उत्सर्जन को पूर्ण रूप से कम करना संभव होगा और इस तरह  आत्मानिर्भर भारत के मिशन को पूरा करने की दिशा में मदद मिलेगी।’’

 

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