दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित वेबिनार में अभिभावकों ने एक्सपर्ट्स से सीखे पेरेंटिंग के गुर
  • नए दौर में अभिभावकों को पेरेंटिंग के नए तरीकों को अपनाने की ज़रूरत- मनीष सिसोदिया
  • कोरोना काल में बच्चों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिए माइंडफुलनेस कारगर: एक्सपर्ट्स
  • एक्सपर्ट्स की सलाह, अपना दृष्टिकोण बदल बच्चों के मनोविज्ञान को समझें माता- पिता
  • दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस कैरिकुलम के द्वारा सिखाए गए मेडिटेशन एक्सरसाइज से बच्चों को अवसाद से दूर करने में मिलेगी सहायता



दिल्ली सरकार द्वारा मंगलवार को 'ग्लोबल पेरेंटिंग डे' के अवसर पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। कोरोना संकट के इस समय जब बच्चे पूरा समय घर में होते है इस दौरान पेरेंटिंग काफी महत्वपूर्ण हो गई है। इसका ध्यान रखते हुए वेबिनार में एक्सपर्ट्स ने अभिभावकों को बेहतर पेरेंटिंग के गुर सिखाए। वेबिनार में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया, बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अमित सेन, डॉ. शैलजा सेन सहित बहुत से अभिभावकों, स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों ने भाग लिया।

भारत में पेरेंटिंग के महत्व पर बात करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज के दौर में भारत में पेरेंटिंग पर बात करने की बहुत ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बेहतर पेरेंटिंग, अभिभावकों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। इस संकट के समय बच्चे घर से बाहर नहीं निकल सकते, स्कूल नहीं जा सकते अपने दोस्तों से नही मिल सकते। बच्चों को सारा समय घर में बिताना होता है।उपमुख्यमंत्री ने कहा की बच्चों की दुनिया घर से बाहर निकल अपने सपनों की उड़ान भरने की दुनिया होती है। लेकिन संकट में बच्चों की दुनिया पिछले 1.5 साल से घर में सिमट कर रह गई है। और इस दौर में अभिभावकों के सामने पेरेंटिंग से संबंधित नई-नई चुनौतियां आ रही है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जो देश इस संकट के समय और इसके बाद की पेरेंटिंग कर लेगा वहां का समाज खुशहाल होगा और तरक्की करेगा। उन्होंने कहा कि भारत में पेरेंटिंग आज भी काफ़ी हद तक पुराने ढांचे पर आधारित है जिसे बदलने की ज़रूरत है। आज भारतीय परिवारों को ज़रूरत है कि वो नए दौर की पेरेंटिंग सीखे क्योंकि ये नया दौर है जिसमें आने वाली चुनौतियां भी नई है। इन चुनौतियों का पेरेंटिंग के पुराने तरीकों से समाधान नहीं किया जा सकता है।

उपमुख्यमंत्री ने कहां की महामारी के इस समय में जब बच्चें 24×7 घर में है तो उनमें मानसिक ठहराव, चिड़चिड़ापन, संबंधों के बैलेंसिंग में गड़बड़ी, मानसिक तनाव जैसी परेशानियां उत्पन्न हो सकती है इसलिए जरूरी है कि अभिभावक पेरेंटिंग के नए तरीकों को सीखे और अपनाएं। और अपने बच्चों के मानसिक,शारीरिक और सामाजिक विकास में आने वाली बाधाओं को तोड़ सके। ताकि वे सक्रिय और रचनात्मक बने रहे। दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीन्स करिकुलम के माध्यम से सिखाए गए माइंडफुलनेस एक्सरसाइज और मेडिटेशन से अवसाद को दूर करने में सहायता मिलेगी। बच्चे अपने माता पिता को भी ये एक्सरसाइज सीखा सकते हैं।

बाल मनोविज्ञान एक्सपर्ट शैलजा सेन और अमित सेन ने वेबिनार में अभिभावकों को बेहतर पेरेंटिंग के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने हर व्यक्ति को प्रभावित किया है। लेकिन हमारे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इस दौर में अभिभावकों को अपने दृष्टिकोण के साथ-साथ पेरेंटिंग के अपने तरीकों में भी बदलाव लाने की ज़रूरत है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि पेरेंट्स को बच्चों के स्तर तक जाकर उनके मनोविज्ञान समझने की ज़रूरत है। उन्होंने अभिभावकों को अपने घरों में माइंडफुलनेस, मेडिटेशन, योग, स्ट्रेस बस्टर जैसे एक्टिविटीज़ करने की सलाह दी।

गौरतलब है कि इस वेबिनार में  विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 10 हज़ार से अधिक अभिभावकों ने भाग लिया।
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