वरिष्ठ साहित्यकार और भारत के शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कवि "बी.एल.गौड़ का गीत-लोक" (सजग प्रकाशन, दिल्ली) एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.बी.एल.गौड़ ने शिक्षा मंत्री डाॅ.निशंक की कहानियों पर केंद्रित "अंतहीन विमर्शों का पुंज" (अनंग प्रकाशन, दिल्ली) पुस्तकों का लोकार्पण किया।








साहित्यकार और कवि डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' और लेखक डॉ.बी.एल.गौड़ की रचनाओं पर केंद्रित इन दोनों पुस्तकों का विवेचनात्मक लेखन और संपादन  वारसाॅ विश्वविद्यालय, पोलेंड में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् की हिंदी पीठ के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डॉ.सुधांशु कुमार शुक्ला के द्वारा किया गया है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने उद्बोधन में बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी डॉ. रमेश पोखरियाल "निशंक" ने दोनों कृतियों के रचयिता लेखक डॉ.सुधांशु कुमार शुक्ला की साहित्यिक समझ, विवेचन शक्ति और कृतियों की समीक्षाओं की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट किए और उन्हें साधुवाद दिया। 

डॉ.निशंक ने डाॅ.गौड़ को उनके गीतों की निश्छल प्रकृति,प्रभावोत्पादकता,सादगी- सरलता और गेयता के लिए हृदय से बधाई दी । वरिष्ठ साहित्यकार के सहज-सरल व्यक्तित्व की गंभीरता और सादगी को रेखांकित करते हुए डॉ.निशंक ने कहा कि गौड़ साहब के गीत "जो भोगा सो गाया" की कहावत को चरितार्थ करते हैं। 
उनका गीत "हे हिमखंड गलो मत ऐसे, जैसे मेरी उम्र गली। मैं रोया तो व्यर्थ गया सब, तुमको फिर भी नदी मिली" एक गहरी संवेदना से परिपूर्ण बेहद महत्वपूर्ण दार्शनिक गीत है।

डॉक्टर बी.एल. गौड़ ने डॉ. निशंक के कहानी संग्रह "अंतहीन" पर सुधांशु कुमार शुक्ला की रचनात्मकता की सुंदर और प्रभावशाली शब्दों में प्रशंसा की। उन्होंने कहा सुधांशु कुमार शुक्ला ने डॉ.निशंक की कहानियों का सुंदर और विशद् विवेचन किया है, उन्होंने विचारणीय बिंदुओं को रेखांकित करते हुए वरिष्ठ और कालजयी रचनाकारों के संदर्भ में जो तुलनात्मक बातें कही हैं, वे निश्चित ही इस कृति के श्रेष्ठ और जनकृति होने की कसौटी हैं।
उन्होंने कहा डॉ.निशंक का जीवन अनंत सीमा तक और अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा का पुंज है। उनका जीवन जन-जन में निरंतर आगे बढ़ने की और श्रेष्ठतम प्राप्त करने की यात्रा का मानदंड स्थापित करता है। उन्होंने कहा डॉ. निशंक भले ही बड़े राजनेता हैं, मंत्री हैं, लेकिन उससे पहले वह एक उच्च कोटि के लेखक हैं। यही विलक्षणता उन्हें औरों से बहुत अलग बना देती है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपना लेखकीय वक्तव्य देते हुए डॉ. सुधांशु कुमार शुक्ला ने दोनों ही वरिष्ठ लेखकों को उनकी कृतियों पर समीक्षात्मक और रचनात्मक लेखन की आज्ञा देने के लिए उनका हृदय से आभार व्यक्त किया।
 डॉ. शुक्ला ने कहा दोनों ही कृतियों को पढ़ने के उपरांत मैं भावनाओं के ज्वार-भाटे में डूबता -उतराता रहा। मैं इन कहानियों और गीतों पर लिखने से अपने आप को रोक नहीं पाया, क्योंकि जो रोशनी, जो संदेश और जो मार्गदर्शन-प्रेरणा ये दोनों कृतियाॅं देती हैं, वह निश्चित ही प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम की गरिमा को और अपनी सदाशयता को अधिक साहित्यिक ऊॅंचाई देते हुए शिक्षा मंत्री भारत सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल "निशंक" ने मंच पर उपस्थित साहित्यकार डॉ. बी.एल.गौड़, प्रो. डॉ. सुधांशु कुमार शुक्ला और कवि डॉ.विवेक गौतम का पुष्पों से और शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। 

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार और राजनेता डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का अभिनंदन गौड़ समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़, निदेशक मंजू गौड़ तथा शारदा गौड़ ने पुष्पों से और शॉल ओढ़ाकर किया।
सुप्रसिद्ध कवि और शिक्षाविद् डॉ. विवेक गौतम के संचालन में संपन्न  इस भव्य आयोजन में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो..रमेश कुमार पांडेय, श्रीमती शारदा गौड़, गौड़ ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ उनकी पत्नी तथा गौड़ समूह की निदेशक मंजू गौड़, सुप्रसिद्ध संगीतकार रविंद्र जैन के भाई मणींद्र जैन, केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी, गगनांचल के संपादक डॉ. आशीष कंधवे, साहित्य अमृत के सहायक संपादक,दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रो. डाॅ. हेमंत कुकरेती, पत्रकार किरण शर्मा,पत्रकार गुलशन सैफी़, बेचैन कंडियाल और प्रेम मिश्र सहित अनेक गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे।
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