विश्वविद्यालयों की सफलता का पैमाना बड़े पैकेज नहीं बल्कि हमारे बच्चों की बनाई गई कंपनियां हों : मनीष सिसोदिया

  • अपनी प्रतिभाओं का उपयोग अब देश की इकोनॉमी बढ़ाने में करने का वक्त आ चुका है : उपमुख्यमंत्री
  • बड़े पैकेज पाकर सिर्फ सैलरी जितना योगदान करने के बदले अपनी कंपनी बनाकर देश की इकोनॉमी में बड़ा योगदान कर सकते हैं हमारे स्टूडेंट्स : सिसोदिया
  • कोरोना संकट में भी छात्राओं को मिले शानदार जॉब ऑफर : कुलपति डॉ अमिता देव




उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि देश की इकोनॉमी आगे बढ़ाने में हमारी प्रतिभाओं का उपयोग करने का वक्त आ चुका है। हमने अपने बच्चों को पढ़ाकर दुनिया की बड़ी कंपनियों में बड़े पैकेज की नौकरी दिलाने तक सीमित न रहें। हमारी सफलता का पैमाना यह होना चाहिए कि हमारे बच्चों ने दुनिया की कितनी बड़ी कंपनियां खड़ी की। किसी विदेशी कंपनी में 60 लाख के पैकेज पर नौकरी करने वाले स्टूडेंट देश की इकोनॉमी में सिर्फ अपनी सैलरी का योगदान कर पाएंगे। जबकि अपनी कंपनी बनाने वाले बच्चे देश की इकोनॉमी में बड़ा योगदान करेंगे। 

इंदिरा गांधी दिल्ली तकनीकी महिला विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि विगत चार पांच वर्षों में विश्वविद्यालय ने क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों स्तर पर काफी सफलता हासिल की है। पहले लगभग 200 सीट क्षमता थी जो अब बढ़कर लगभग 1200 हो चुकी है। दिल्ली में हर साल लगभग ढाई लाख बच्चे बारहवीं पास करते हैं। सबको उच्च शिक्षा के अच्छे अवसर देना हमारी प्राथमिकता है। इसमें इस विश्वविद्यालय का योगदान हमारे लिए गर्व की बात है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हम विश्वविद्यालय के लिए 50 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन 50 एकड़ वाले कैम्पस के बगैर ही विश्वविद्यालय फैकेल्टी और छात्राओं ने अपने ज्ञान और प्रोफेशनल कमिटमेंट के जरिए शानदार सफलता हासिल करके दिखा दी है। इससे पता चलता है कि शैक्षणिक उत्कृष्टता किसी विशाल परिसर की मोहताज नहीं।  मैं एक लेक्चर के लिए जब लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स गया, तो परिकल्पना थी कि विशाल परिसर होगा। लेकिन इसके बगैर ही दुनिया में इस संस्थान का बड़ा नाम है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार आपको बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। लेकिन फैकेल्टी और स्टूडेंट्स की कठिन मेहनत और परिश्रम से ही विश्वविद्यालय उत्कृष्टता की ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। इसलिए आप अपनी गति बनाए रखें। उपमुख्यमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि विश्वविद्यालय में अभी 200 छात्राएं पीएचडी कर रही हैं।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार 20 साल के कुल 86 स्कूल टॉपर्स में लड़कियां मात्र 31 हैं। विदेशों में अवसर पाने वाले टॉपर्स में भी लड़के अधिक हैं। इससे हमारे समाज के सॉफ्टवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद लैंगिक पूर्वाग्रह का पता चलता है। लेकिन यह विश्वविद्यालय इस कमी को ठीक करने के लिए हमारी बेटियों की प्रतिभा निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि हम अपने विश्वविद्यालयों की सफलता का आकलन उसकी गुणवत्ता के आधार पर करें। कितने का पैकेज मिला, इसके बजाय किन विषयों पर कितने रिसर्च हुए और हमारे बच्चों ने खुद कितनी कंपनियां बनाई, इस आधार पर होना चाहिए। इस विश्वविद्यालय की छात्राओं को शानदार प्लेसमेंट और बड़े पैकेज मिलना हमारे लिए गर्व की बात है। लेकिन हम सिर्फ नौकरी तलाशने वालों की फैक्ट्री बनने के बदले नौकरी देने वाली उद्यमिता सोच विकसित करने का लक्ष्य रखें। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अभी हम अपनी प्रतिभाओं को अच्छी तरह निखारकर बड़ी कंपनियों के हवाले कर देते हैं। लेकिन अब वक्त आ गया जब हम अपने बच्चों को दुनिया की ऐसी बड़ी कंपनियां खड़ी करने योग्य बना सकें। हमारे बच्चों की प्रतिभा का लाभ अगर अमेरिकन कंपनियां उठा सकती हैं, तो उसका पूरा लाभ हमारे देश को मिले, इसके लिए एंटरप्रेन्योर माइंडसेट विकसित करना जरूरी है। हमारे बच्चों को मिले अच्छे पैकेज का उत्सव हम जरूर मनाएँ, लेकिन अपने बच्चों में हम यह सपना भी पैदा करें कि वह खुद दूसरों को जॉब देकर उत्सव मना सकें।

आज दीक्षांत समारोह में 487 छात्राओं को स्नातक (359), स्नातकोत्तर (119) और पीएचडी (09) उपाधियों का वितरण किया गया। साथ ही, दो चांसलर अवार्ड, 11 वाइस चांसलर अवार्ड और एक एक्जेम्पलरी अवार्ड भी दिया गया। इंजीनियरिंग और विज्ञान के क्षेत्र में आज डिग्री पाने वाले काफी स्टूडेंट्स देश भर में महत्त्वपूर्ण संस्थाओं में कार्यरत हैं।

विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अमिता देव ने कहा कि इंजीनियरिंग, साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में छात्राओं के लिए प्रोफेशनल एडुकेशन और रिसर्च के एक उत्कृष्ट संस्थान के बतौर हमारे विश्वविद्यालय ने प्रतिष्ठा हासिल की है। उन्होंने विभिन्न पाठ्यक्रमों और उपलब्धियों का विवरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की छात्राओं को दुनिया की प्रसिद्ध कंपनियों में अच्छा प्लेसमेंट मिल रहा है। कोरोना संकट के बावजूद इस वर्ष प्लेसमेंट के लिए 96 कंपनियां आईं। विश्वविद्यालय की छात्राओं अच्छे पैकेज के साथ ऑफर मिल रहे हैं। इसमें 59.45 लाख का टॉप पैकेज शामिल है। फूल टाइम जॉब के 316 ऑफर के साथ ही 189 इंटर्नशिप ऑफर मिले।
टिप्पणियाँ