लगभग 685 करोड़ रुपये के फर्जी चालान का लाभ उठाने वाली कंपनी का भंडाफोड़

गोपनीय सूचना के साथ ही जीएसटीएन और ई वे बिल पोर्टल्स पर आंकड़े खंगालने/विश्लेषण के आधार पर सीजीएसटी दिल्ली दक्षिणी आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों ने जीएसटीआईएन पर फर्जी/डमी कंपनियों के लिए जारी चालान/ई-वे बिलों का फायदा उठाने और इन फर्जी चालानों पर आईजीएसटी रिफंड हासिल करने में लिप्त कंपनियों के सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है।


इस मामले में एम/एस बान गंगा इम्पेक्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसका मुख्य व्यावसायिक कार्यालय एल-10ए, गंगा टावर, महिपालपुर, नई दिल्ली-110037 (GSTIN 07AAMFB0425A1Z4) है।


जब्त किए गए दस्तावेजों, ई-वे पोर्टल/जीएसटीएन पोर्टल पर उपलब्ध डाटा/सूचनाओं की शुरुआत से सामने आया कि एम/एस बान गंगा इम्पेक्स, नई दिल्ली ऐसी 48 इकाइयों से चालान लेकर उनके बीच आपूर्तिकर्ताओं का एक नेटवर्क तैयार कर रही है, जिनका अस्तित्व ही नहीं है और एक-दूसरे को आईटीसी दे रही हैं। आखिर में, सभी आपूर्तिकर्ताओं से मिला आईटीसी एम/एस बान गंगा इम्पेक्स को मिल जाता है, जिसके बदले में गैर पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे गए सामानों के निर्यात पर रिफंड लिया जाता है। ई-वे बिल जारी करने के लिए सांठगांठ के साथ वाहन संख्याओं का उपयोग किया जाता है, जो बाद में दोपहिया, बसों, जेसीबी, निजी कारों और एम्बुलेंस आदि के पाए गए थे।


एम/एस बान गंगा इम्पेक्स ने फर्जी इकाइयों से 50 करोड़ रुपये (अनुमानित) के जीएसटी से संबंधित कुल 685 करोड़ रुपये (अनुमानित) के चालान हासिल किए और उन पर 35 करोड़ रुपये (अनुमानित) का रिफंड हासिल किया गया।


एम/एस बान गंगा इम्पेक्स के साझीदार राकेश शर्मा इस गठजोड़ और कंपनी की सभी परिचालनगत गतिविधियों के मुख्य लाभार्थी रहे, इसलिए उन्हें स्वास्थ्य जांच और कोविड परीक्षण के बाद 09.11.2020 को गिरफ्तार कर लिया गया।राकेश शर्मा को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।


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