करतारपुर साहिब का प्रबंधन अलग ट्रस्ट को सौंपे जाने पर भारत के सिख समुदाय के लोगों ने जताया विरोध

पवित्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन एक सिख संस्था से लेकर एक अन्य ट्रस्ट को सौंपने संबंधी पाकिस्तान के फैसले पर भारत समेत दुनिया भर सिख समुदाय के लोगों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। सिख समुदाय ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए इसे अपनी धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताते हुए करतारपुर साहिब का प्रबंधन फिर से सिखों को सौंपे जाने की मांग की है।



भारत में रह रहे सिख समुदाय के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगातार भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। पाकिस्तानी सरकार सिखों सहित अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगातार विफल रही है। ऐसी स्थित में पवित्र गुरुद्वारा का प्रशासनिक नियंत्रण पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) से छीन कर अन्य ट्रस्ट को स्थानांतरित करने का निर्णय सिख समुदाय के साथ धोखा है।



क्या है मामला


कुछ दिनों पहले पाकिस्तान की इमरान सरकार ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रशासनिक नियंत्रण 'इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड' (ईटीपीबी) को सौंप दिया। जिसका गठन पाकिस्तान विभाजन के बाद किया गया था। यही नहीं पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर साहिब को प्रोजेक्ट बिजनेस प्लान घोषित करते हुए गुरुद्वारा प्रबंधन के लिए नौ सदस्यीय कमेटी बनाई है। जिसको पीएमयू करतारपुर साहिब नाम दिया गया है। जिसमें न तो पीएसजीपीसी के किसी सदस्य को रखा गया है और न ही सिख समुदाय के किसी व्यक्ति को शामिल है। इससे गुरुद्वारा की मर्यादाओं में गैर सिख नौ अधिकारियों की दखल बढ़ जाएगी। इसमें गुरुद्वारे के प्रशासनिक नियंत्रण के साथ-साथ रख रखाव भी शामिल है।


भारत सरकार भी दर्ज करा चुकी है विरोध


इस मसले को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय बीते 7 नवंबर को भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुका है। मंत्रालय ने भारत स्थित पाकिस्तानी मिशन के प्रभारी आफताब हसन खान को तलब कर स्पष्ट रूप से बताया है कि पाकिस्तान का यह एकतरफ निर्णय करतारपुर साहिब गलियारा पहल की भावना और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। मंत्रालय का यह भी कहना है कि इस तरह की कार्रवाई केवल सिख समुदाय ही नहीं, बल्कि वहां रह रहे अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों, कल्याण, संरक्षण और सुरक्षा के पाकिस्तान के लंबे दावों को पोल खोलती है।


सिख समुदाय की 55 से अधिक लड़कियों का कराया जा चुका है धर्म परिवर्तन


बता दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाओं की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान में सिख समुदाय की 55 से अधिक लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें ज्यादातर नाबालिग हैं। यही नहीं सिख ग्रंथियों के परिवारों से संबंधित छोटी लड़कियों का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। हाल ही में ननकाना साहिब गुरुवाद्वारा के ग्रन्थि की बेटी जगजीत कौर और गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब ग्रन्थि की बुलबुल कौर का अपहरण कर जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तिन कराया गया है।


दिल्ली में रह रहे सिख समुदाय के रंजीत सिंह सैनी का कहना है कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में विफल है। वहां से अक्सर अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार के मामले सामने आते हैं रहते हैं। ऐसे माहौल में इस तरह का फैसला लेना यह बताता है कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यों के हितों की रक्षा नहीं, बल्कि हनन करना चाहती है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रशासनिक नियंत्रण ईटीपीबी को देने फैसला गलत और हमारे समुदाय के खिलाफ है। पाकिस्तान सरकार ने अभी जो कमेटी बनाई गई है, उसमें सिख समुदाय का कोई नहीं है, इससे कमेटी हमारी परंपराओं को नहीं जान पाएंगी। हमारी मांग है कि पाकिस्तान सरकार गरुद्वारे का प्रबंधन पीएसजीपीसी को सौंपे। 


टिप्पणियाँ