भारत ने मलेशिया से 100वें उड़ान का सफलतापूर्वक संचालन पूरा किया 6 महीने में 100 से अधिक उड़ानों के जरिए मलेशिया से 17 हजार से अधिक नागरिकों की वापसी

मलेशिया में भारतीय उच्चायुक्त  मृदुल कुमार ने वंदे भारत मिशन के तहत  बीते सप्ताह मलेशिया से 100वीं उड़ान को रवाना किया। इस उड़ान में कुआलालंपुर से चेन्नई जाने वाले 159 यात्री सवार थे। भारत सरकार द्वारा दुनिया भर के भारतीयों के प्रत्यावर्तन के लिए वैश्विक स्तर पर मिशन चलाया जा रहा है। जिसमें एयर इंडिया और भारतीय नौसेना के जहाज़ों की सहायता ली जा रही है। कोविड—19 महामारी के दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए ही इन कर्मशियल फ्लाइट्स का संचालन किया जा रहा है।



वंदे भारत मिशन कोविड-19 महामारी की वजह से विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों के प्रत्यावर्तन के लिए सरकार द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल अभ्यास रहा है, जिसमें केंद्रिय मंत्रालय और राज्य सरकारों ने हिस्सा लिया। विदेश मंत्रालय के साथ-साथ नागरिक उड्डयन, गृह, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भी इस मिशन में शामिल हुए।



बीते छह महीनों में केवल मलेशिया से 17 हजार से अधिक भारतीयों को वापस लाया गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार महीने के अंत तक वंदे भारत मिशन के 8वें चरण के तहत कुल 30.9 लाख भारतीयों को वापस स्वदेश लाया गया है।


मलेशिया के केएल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारतीय उच्चायुक्त अन्य सदस्यों के साथ मौजूद रह कर खुद सभी व्यवस्थाओं की देखरेख की । इस प्रक्रिया में भारतीय मूल के मलेशियाई सेनेट के सदस्य टी मोहन की विेशेष मदद मिली। टी मोहन 100वें वंदे भारत मिशन फ्लाइट द्वारा भारतीय नागरिकों को चेन्नई वापसी के दौरान मौजूद रहे।


भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी ने कहा कि, “वंदे भारत मिशन के माध्यम से शुरू की गई उड़ानों को मलेशियाई अधिकारियों द्वारा अनुकरणीय समर्थन और प्रोत्साहन मिला है साथ ही अन्य एजेंसियों ने कुआलालंपुर से वंदे भारत मिशन उड़ानों के संचालन में योगदान दिया है। मुझे खुशी है कि मौजूदा वक्त की मुश्किल के बावजूद हम सभी अपने नागरिकों को देश वापस लाने के कार्य में सहयोग करने के लिए एक साथ खड़े रहे हैं।”


वंदे भारत मिशन के लिए विदेशी दूतावासों और उच्च आयोगों में तैनात भारतीय राजनयिकों और अधिकारियों ने अनुकरणीय भूमिका निभाई है। इन अधिकारियों ने दुनिया भर में अपने संबंधित समकक्षों और अन्य फील्ड कर्मचारियों के साथ मिलकर कार्य किया, जिससे विदेशों में फंसे हुए नागरिकों की भारत वापसी सुनिश्चित हो पायी है। 


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