पेड़ बूढ़ा ही सही आंगन में लगा रहने दो - डॉ रूप कुमार बनर्जी!


आज विश्व बुजुर्ग दिवस पर है ! बुजुर्ग शब्द दिमाग में आते ही उम्र व विचारों से परिपक्व व्यक्‍ति की छवि सामने आती है । बुजुर्ग अनुभवों का वह खजाना है जो हमें जीवन पथ के कठिन मोड़ पर उचित दिशा निर्देश करते हैं । परिवार के बुजुर्ग लोगों में नाना-नानी, दादा-दादी, माँ-बाप, सास-ससुर आदि आते हैं । बुजुर्ग घर का मुखिया होता है इस कारण वह बच्चों, बहुओं, बेटे-बेटी को कोई गलत कार्य या बात करते हुए देखते हैं तो उन्हें सहन नहीं कर पाते हैं और उनके कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं जिसे वे पसंद नहीं करते हैं । वे या तो उनकी बातों को अनदेखा कर देते हैं या उलटकर जवाब देते हैं । जिस बुजुर्ग ने अपनी परिवार रूपी बगिया के पौधों को अपने खून पसीने रूपी खाद से सींच कर पल्लवित किया है, उनके इस व्यवहार से उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है ।
    आज के इस भौतिक वाद में बढ़ते एकल परिवार के सिद्धान्त तथा आने वाली पीढ़ी की सोच में परिवर्तन के चलते  मातृ पितृ देवो भव:  बहुत कम ही देखने को मिल रहा है।  किसी जमाने में जिनकी आज्ञा के बगैर घर का कोई कार्य और निर्णय नही होता था ,जो परिवार में सर्वोपरि थे और परिवार की शान समझे जाते थे, आज उपेक्षित, बेसहारा और दयनीय जीवन जीने को मजबूर नजर आ रहे है । अपने माता पिता व अन्य बुजुर्गों को ’’रूढ़ीवादी’’, ’’सनके हुये’’ तथा ’’पागल हो गये ये तो’’ तक का सम्बोधन देने लगे है। सच बात है कि  बुजुर्गों का जीवन अनुभवों से भरा पड़ा है, उन्होंने अपने जीवन में कई धूप-छाँव देखे हैं जितना उनके अनुभवों का लाभ मिल सके लेना चाहिए । गृह-कार्य संचालन में मितव्ययिता रखना, खान-पान संबंधित वस्तुओं का भंडारण, उन्हें अपव्यय से रोकना आदि के संबंध में उनके अनुभवों को जीवन में अपनाना चाहिए जिससे वे खुश होते हैं और अपना सम्मान समझते हैं ।बुजुर्ग के घर में रहने से नौकरी पेशा माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल व सुरक्षा के प्रति निश्‍चिंत रहते हैं । उनके बच्चों में बुजुर्ग के सानिध्य में रहने से अच्छे संस्कार पल्लवित होते हैं । हां बुजुर्गों को भी उनकी निजी जिंदगी में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । उनके रहन-सहन, खान-पान, घूमने-फिरने आदि पर हमेशा रोक-टोक नहीं होनी चाहिए । तभी वे शांतिपूर्ण व सम्मानपूर्ण जीवन जी सकते हैं । बुजुर्गों में चिड़चिड़ाहट उनकी उम्र का तकाजा है । वे गलत बात बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं, इसलिए परिवार के सदस्यों को उनकी भावनाओं व आवश्यकता को समझकर ठंडे दिमाग से उनकी बात सुननी चाहिए । कोई बात नहीं माननी हो तो, मौका देखकर उन्हें इस बात के लिए मना लेना चाहिए कि यह बात उचित नहीं है ! इस जीवन संध्या में उन्हें आदर व अपनेपन की जरूरत होती है । इनकी छत्रछाया से हमारी सभ्यता व संस्कृति जीवित रह सकती है । बच्चों को अच्छे संस्कार व स्नेह मिलता है । ‘फल न देगा न सही, छाँव तो देगा तुमको पेड़ बूढ़ा ही सही
आंगन में लगा रहने दो ।’
कोरोना के दौरान ऐसे करें अपनी देखभाल :-
1- घर में रहें घर में आगंतुकों से मिलने से बचें यदि बैठक आवश्यक है, तो एक मीटर की दूरी बनाए रखें ,
2- अपने हाथों और चेहरे को साबुन और पानी से नियमित अंतराल पर धोएं,
3- छींक और खांसी आये तो अपनी कोहनी या टिशू पेपर/रूमाल का इस्तेमाल करें खांसने या छींकने के बाद अपने रूमाल को धो लें. टिशू पेपर को डस्टबिन में फ़ेंक दें,
4- घर पर पका हुआ ताजा गर्म भोजन के माध्यम से उचित पोषण सुनिश्चित करें,
5- नियमित अंतराल पर पानी पियें यदि संभव हो तो ताजा रस का सेवन करें , हल्का व्यायाम और योग करें,       
6- अपनी दैनिक निर्धारित दवाएं नियमित रूप से लें कम से कम एक माह की दवा का स्टॉक रखें, अपने परिवार के सदस्यों (जो आपके साथ नहीं हैं), रिश्तेदारों, दोस्तों से कॉल या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात करें, यदि आवश्यक हो तो परिवार के सदस्यों की मदद लें,
7- अपने स्वास्थ्य की निगरानी करें यदि आप बुखार, खांसी और या साँस लेने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा से संपर्क करें और दी गई चिकित्सा सलाह का पालन करें,      
8- परिवार के सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण विचार साझा करें बच्चों को सीख वाली पुरानी घटना बताएं, छत बालकनी आँगन में कुछ वक्त अवश्य बिताएं !
अपनी उचित देखभाल के लिए निम्न से बचें :--
1-अपने हाथों में या अपना चेहरा ढके बिना छींके और खांसे नहीं, यदि आप बुखार और खांसी से पीड़ित हैं तो दूसरों के पास न जाएं ,  
2- अपनी आंखों, चेहरे, नाक और जीभ को न छुएं, प्रभावित / बीमार लोगों के पास न जाएं,
3- कोई समस्या होने पर अपना चिकित्सा खुद न करें,
4- अपने दोस्तों और आस-पास के लोगों से न तो हाथ मिलाएं न ही गले लगाएं,
5- रुटीन चेकअप या फॉलोअप के लिए अस्पताल न जाएं, जितना संभव हो सके अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ टेली-परामर्श पर भरोसा करें,
6- पार्कों बाजारों और धार्मिक स्थानों जैसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर न जाएं, जब तक यह आवश्यक न हो, बाहर न जाएं,
7- बहुत ज्यादा टीवी न देखें. कोरोना पर बहुत ज्यादा चर्चा न करें !
बुजुर्गों की देखभाल हम कैसे करें ?:-
1- बुजुर्गों के शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें. उनके साथ पर्याप्त समय बिताएं,
2- उनके सामाजिक संपर्कों को प्रोत्साहित करें, घर में बुजुर्गों के अनुरूप एक रूटीन स्थापित करें और उसका पालन करें,
3- यदि वे कोई जानकारी मंगाते हैं तो सटीक जानकारी दें, सुरक्षा के बारे में नियमों को तोड़े बिना गतिविधियों में भागीदारी को प्रोत्साहित करें, 4- यादाश्त समस्याओं वाले बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखें, उनकी उपस्थिति में समाचार देखने, पढ़ने और सुनने में सावधानियाँ बरते,
5- घर में सकारात्मक और आशावादी माहौल बना कर रखें, किसी प्रकार के वाद-विवाद से परहेज करें! 


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