अचानक इन पर इतनी मेहरबानियां क्यों ?

आजकल ब्राह्मण जाति की चर्चा कुछ अधिक ही हो रही है ! अचानक पार्टियों का ये ब्राम्हण प्रेम किसी के गले नहीं उतर रहा है ! क्योंकि ये जो भी पार्टियां आज ब्राह्मण प्रेम दिखा रही हैं वह कभी ब्राह्मण हितैषी नहीं रही है ! उत्तर प्रदेश की राजनीति में अचानक राजनीतिक पार्टियों का ब्राह्मण जाति के प्रति माया मोह बढ़ गया है और कोई ब्राह्मणों के देवता श्री परशुराम जी की मूर्ति की बात कर रहा है तो कोई अस्पताल बनवाने की तो कोई अन्य लुभावने सपने दिखा रहा है ! समझ में नहीं आ रहा है की इससे ब्राह्मण जातियों का क्या भला करेंगे? यह पार्टियां इतनी दरियादिली इससे पहले कभी भी ब्राह्मण जाति के प्रति नहीं दिखाई हैं और नहीं तो हर बार ब्राह्मणों को हाशिए पर रखकर ही राजनीति की हैं ! सभी चुनावों में ब्राह्मणों की उपेक्षा और ब्राह्मणों पर अनुचित टिप्पणियां की गई हैं! कभी परवर भूनकर खाने की बात तो कभी तिलक तराजू और तलवार.... की बात की गई है! हां अब इन्हें यह लगता है कि ब्राह्मण वोट के बिना नैया पार नहीं लगेगी तो इन्हें आज ब्राह्मण याद आ रहें हैं! अब इन्हें लग रहा है कि इनकी अनदेखी भारी पड़ सकती है तो इनको लुभाने के कई तरीके अपनाए जा रहे हैं जो सिर्फ राजनीतिक और अपना उल्लू सीधा करने का एक तरीका है ! भला मूर्ति बना देने से किसका भला हो सकता है ? इस दिन अवकाश घोषित कर देने से  किसका भला हो सकता है? सोचा जा सकता है ! आज ब्राह्मण जाति के उत्थान और इनकी बुनियादी समस्याओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है ! सिर्फ ऐसे मुद्दों को उठाया जा रहा है जिससे ब्राह्मण जाति का कोई वास्ता ही न हो ! अलग-थलग करके राजनीतिक रोटियां सेकी जा सके ! जो भी हो आज जो ब्राहमण हित की बात की जा रही है उससे सिर्फ राजनीति की बू आ रही है और आने वाले चुनाव को देखकर की जा रही है ! अगर सच में यह इतने दयालु हो गए है तो इनकी शिक्षा स्वास्थ्य आदि की बातें क्यों नहीं कर रहे है ? आज बहुत से ब्राह्मण परिवार ऐसे हैं जो बद् से बद्तर स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहे हैं ! इनके उत्थान, कल्याण की बात क्यों नहीं की जा रही है? बहुत से परिवार धन के अभाव में पैतृक संपत्ति बेचकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या धन अभाव के कारण उचित शिक्षा नहीं ग्रहण कर पा रहे हैं ! इनके लिए क्या किया जा रहा है? इन्हें भी मूल भूत सुविधाएं उपलब्ध कराईये न अगर इनकी इतनी चिंता है तो? आज शिक्षा, नौकरी सामाजिक पहुंच सब कुछ इनसे दूर होता जा रहा है! क्या कभी किसी ने इस पर विचार किया ? ब्राह्मण समाज के सांसद विधायक व जिम्मेदार यहां तक कि ब्राह्मण संगठन, संस्थाएं तक मूक दर्शक बनकर सिर्फ अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं ! जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जाता है वैसे वैसे इन्हें ब्राह्मण याद आते जातें हैं! आज भी जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे पार्टियां ब्राह्मण मोह दिखाना शुरू कर दी हैं! क्योंकि सभी पार्टियों ने सभी जातियों में अपना वोट बैंक सुरक्षित कर चुकी हैं ! केवल ब्राह्मण वोट ही इधर उधर होता है जिसे अभी से पार्टियां बटोरना शुरू कर दी है और भाजपा शासनकाल में ब्राह्मणों की हत्या का मुद्दा जबसे चर्चा में आया है तभी से अन्य पार्टियों में ब्राह्मण मोह जग गया है!
पार्टियों ने सोचा कि यही एक समय है जब ब्राह्मणों को अपनी तरफ मोड़ा जा सकता है क्योंकि गर्म लोहे पर प्रहार करना आसान होता है! किसी ने ब्राह्मणों के देवता श्री परशुराम जी की मूर्ति, अस्पताल, ब्राह्मणों के लिए सम्मान की बात करने लगे! जबकि हकीकत यह है कि किसी भी पार्टियों ने ब्राह्मणों को सिर्फ छला है और मोहरा बनाया है ! जिसका यह आसानी से शिकार हो जाते हैं ! यही कारण है कि आज इनकी दशा दिन प्रतिदिन बद् से बद्तर होती जा रही है! आज इनकी दशा का जिम्मेदार भला कौन है ? यह सभी जानते हैं ! ब्राह्मणों के प्रति इनकी यह घोषणाएं और सम्मान में कहीं जा रही बातें सिर्फ और सिर्फ एक राजनीतिक चाल है! क्योंकि यह अपने शासनकाल में रहते हुए इन जातियों का कितना भला की है यह सबको पता है ! अगर सच में कोई इनका भला करना चाहता है तो इनके कल्याण उत्थान की बात करें ना कि मूर्ति कि ! अगर कोई मूर्तियों में और भगवान में आस्था विश्वास रखता है तो उसका भी स्वागत है लेकिन सब कुछ दाव पर लगाकर कत्तई नहीं ! 



टिप्पणियाँ