कोरोना के चलते दूसरे रोगियों की न होअनदेखी -डी एन सिंह
कोरोना को राजकीय बीमारी जैसा दर्जा देकर केंद्र और राज्य सरकारों ने ज़्यादातर अस्पताल कोरोना मरीजों  के लिए रिजर्व कर दिये। बाकी बीमारियों के इलाज की कोई व्यवस्था ही नही बची है। न इनका कोई जिक्र ही हो रहा है। इस वजह से हेपेटाइटिस सी, हेपिटाइटिस बी, डायबिटीज, किडनी पेसेंट की डायलिसिस यूनिट्स , स्त्री रोग एवम प्रसूति विभाग तक बन्द कर दिये है। महिलाओ को मातृत्व के लिए भारी कष्ट झेलने पड़ रहे है। प्राइवेट अस्पताल मरीजो को लूटने में लग गए है।


दिल्ली में कोविड - 19 घोषित किये गए अस्पतालों में बेड संख्या के आधी संख्या में भी कोरोना  मरीज भर्ती नही है, नतीजे के तौर पर आधे से भी ज़्यादा बेड्स खाली पड़े हुए है। दूसरी बीमारियों के मरीज धक्के खा रहे है, या बिना इलाज मरने को मजबूर है।

इस स्थिति को देखते हुए पॉलिसी रिव्यू की जानी चाहिए और दो चार वार्ड कोरोना के लिए रिजर्व करके बाकी बेड्स पर आम बीमारियों का इलाज शुरू किया जाये। डायबिटीज के इलाज के लिए बने एंडोक्राइन हॉस्पिटल , आंखों के अस्पताल, डायलेसिस यूनिट्स, न्यूरो और ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन्स, और जरूरी सर्जरी शुरू कराई जाये।

पब्लिक का सब्र भी अब टूट रहा है, कोरोना जितना मीडिया में दिखता है, न उतना भयावह या खतरनाक है, और न ही उतना संक्रामक है। दूसरी अनेक बीमारियों के मरीज बेहाल है। वे रोग कोरोना से ज़्यादा खतरनाक भी है।

दिल्ली सचिवालय के सामने प्रदर्शन कर रहे कुछ मरीजो और दिल्ली नेट वर्क ऑफ पॉजिटिव प्यूपिल नामक एन जीओ के लोगो का कहना है कि हेपेटाइटिस और एच आई वी पॉजिटिव पेसेंट को लगातार ट्रीटमेंट चाहिए, ये रोग कोरोना से खतरनाक भी है। उनका सवाल है कि क्या इन रोगों के मरीज देश के नागरिक नही है ? उनका इलाज क्यो नही होना चाहिए ?

कनफेडरेशन ऑफ गोवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एसोशियेशन्स ,दिल्ली के अध्यक्ष डी एन  सिंह ने  उच्च पदस्थ सम्बंधित अधिकारियों और संवैधानिक पदों पर आसीन नेताओ को ग़रीबो की इस वाज़िब समस्या पर गौर करके कुछ ऐसा समाधान निकालने का निवेदन किया  जिससे इन बीमारियों से पीड़ित मरीजो का इलाज संभव हो सके। ये भी देश के नागरिक है। इनकी तरफ से आंखे मूदने को न्यायसंगत एप्रोच नही कहा जा सकता है।

इसलिए इनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके तुरन्त उचित कदम उठाए जाएं।

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