सामाजिक दूरी और इम्युनिटी बढ़ाने से होगी महामारी पर जीत: डॉ राम रतन बनर्जी!


होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के जनक डा. हैनिमैन की जयंती पर 10 अप्रैल को पूरे विश्व में होम्योपैथी दिवस के रूप में मनायी जाती रही है । परन्तु इस वर्ष कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी व देश एवं प्रदेश में लॉक डाउन व  सामाजिक दूरी बनाये रखने के दिशा निर्देश में इस अवसर पर किसी प्रकार का आयोजन किया जाना उचित नहीं है। इसलिये सन्तोष होम्यो सेवाश्रम बेनीगंज में होम्योपैथ के जनक हैनिमैन को माल्यार्पण कर लोगों को समाचार पत्रों के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। उक्त जानकारी देते हुए यश भारती व विगत 6 दशकों से होम्योपैथ विधा से जनमानस की चिकित्सा सेवा करने वाले वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डॉ रामरतन बनर्जी ने कहा कि होम्योपैथी दुनिया के लगभग 100 देशों में अपनाई जा रही है तथा भारत में दूसरे नंबर पर अपनाई जाने वाली पद्धाति है। डा. हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को जर्मनी में हुआ था। उन्होंने 1796 में विश्व को एक नई चिकित्सा पद्धति से रुबरू करवाया जिसका नाम होम्योपैथिक था। तब से लेकर अब तक होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का अपना विशेष महत्व रहा है।होम्योपैथी एक ऐसी कारगर पद्धति है जो छोटे-मोटे रोगों के साथ कई असाध्य रोगों का जड़ से इलाज करती है। 
वैश्विक महामारी कोविड- 19 से बचाव के लिये डॉ रामरतन बनर्जी ने लोगों को जागरूक करते हुए संदेश दिया कि इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण है सामाजिक दूरी व स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के इस तरह के वायरस से कहीं जल्‍दी संक्रमित हो जाते हैं। किसी भी बीमारी का वायरस शरीर पर तभी हमला कर पाता है, जब हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता (जिसे रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कहते हैं) कमजोर होती है। रोगप्रतिरोधक क्षमता शरीर के लिए रक्षा कवच की तरह काम करती है, जिसके कमजोर होने पर ही वायरस या बीमारी रूपी दुश्मन शरीर में प्रवेश कर पाते हैं। यह बात हमेशा से कही जा रही है कि मजबूत शरीर ही बीमारियों से बचाव कर सकता है, लेकिन मौजूदा परिप्रेक्ष्य में जबकि दुनिया के तमाम देशों के साथ-साथ भारत में भी कोरोना का असर बढ़ रहा है, एक बार फिर इंसान की रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने/बढ़ाने की जरूरत पर चर्चा शुरू हो गई है। यह तो तय है कि आहार, व्यवहार और जीवनशैली ने हम सबकी इम्यूनिटी को प्रभावित किया है, जिसकी वजह से पहले की अपेक्षा बीमारियों का हमला जल्दी हो जाता है और ठीक होने में भी उनता ही समय लगता है लेकिन अगर बहुत छोटे-छोटे लेकिन जरूरी प्रयास आहार और व्यवहार में शामिल कर लिए जाएं तो कोरोना ही नहीं, अन्य कई तरह के वायरल फ्लू, संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है ।होम्योपैथी में रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के बेहतर विकल्प मौजूद हैं। वातावरण में मौजूद तमाम बैक्टीरिया और वायरस को हम लगातार सांस के जरिये अंदर लेते रहते हैं, लेकिन ये बैक्टीरिया हमें नुकसान इसलिए नहीं पहुंचा पाते क्योकिं हमारा प्रतिरोधक तंत्र इनसे हर समय लड़ते हुए इन्हें परास्त करता रहता है। कई बार जब इन बाहरी कीटाणुओं की ताकत बढ़ जाती है तो ये शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को भेद जाते हैं। जिससे कई मौसमी बीमारियां हमें घेर लेती हैं। सर्दी, जुकाम इस बात का संकेत हैं कि आपका प्रतिरोधक तंत्र कीटाणुओं को रोक पाने में नाकामयाब हो गया। कुछ दिन में आप ठीक हो जाते हैं। इसका मतलब है कि तंत्र ने फिर से जोर लगाया और कीटाणुओं को हरा दिया। अगर प्रतिरोधक तंत्र ने दोबारा जोर न लगाया होता तो इंसान को जुकाम, सर्दी से कभी राहत ही नहीं मिलती। इसी तरह कुछ लोगों को किसी खास चीज से एलर्जी होती है और कुछ को उस चीज से नहीं होती। इसकी वजह यह है कि जिस शख्स को एलर्जी हो रही है, उसका प्रतिरोधक तंत्र उस चीज पर रिऐक्शन कर रहा है, जबकि दूसरों का तंत्र उसी चीज पर सामान्य व्यवहार करता है। इसी तरह डायबीटीज में भी प्रतिरोधक तंत्र पैनक्रियाज में मौजूद सेल्स को गलत तरीके से मारने लगता है। ज्यादातर लोगों में बीमारियों की मुख्य वजह वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। इनकी वजह से खांसी-जुकाम से लेकर खसरा, मलेरिया जैसे रोग हो सकते हैं। इन इंफेक्शन से शरीर की रक्षा करने का काम ही करता है इम्यून सिस्टम। डॉ बनर्जी ने आगे बताया कि अनियमित खानपान, अनिद्रा, देर रात तक कार्य करने की आदत और अनियमित दिनचर्या के कारण लोगों में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) घट रही है। इसके अलावा  मौसम बदलाव के दौरान भी बाहरी बेक्टेरिया व वारयस ज्यादा शक्तिशाली हो जाते है और इस समय शरीर में कई तरह के वारयस अटेक करते हैं जिससे हमारी इम्यून क्षमता प्रभावित होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण शरीर खुद कर लेता है। ऐसा नहीं है कि आपने बाहर से कोई चीज खाया और उसने जाकर सीधे आपकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा कर दिया। इसलिए ऐसी सभी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए। इनकी मदद से शरीर इस काबिल बन जाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।  प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए। विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है। इसके लिए मौसमी, संतरा, नींबू लें। जिंक का भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ा हाथ है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिन ड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं। होम्योपैथी में वाइटल फोर्स का सिद्धांत काम करता है। इम्युनिटी को बढ़ाना ही होम्योपैथी का आधार है। पूरी जिंदगी को वाइटल फोर्स ही कंट्रोल करता है। यही है जो जिंदगी को आगे बढ़ाता है। अगर शरीर की वाइटल फोर्स डिस्टर्ब है तो शरीर में बीमारियां बढ़ने लगेंगी। होम्योपैथी में मरीज को ऐसी दवा दी जाती है, जो उसकी वाइटल फोर्स को सही स्थिति में ला दे। वाइटल फोर्स ही बीमारी को खत्म करता है और इसी में शरीर की इम्यूनिटी होती है। दवा देकर वाइटल फोर्स की पावर बढ़ा दी जाती है, जिससे वह बीमारी से लड़ती है और उसे खत्म कर देती है। 


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