महंगाई रोकें, भत्ते नहीं – डी एन सिंह


कोरोना संकट के संदर्भ में केंद्र सरकार ने आदेश जारी किया है कि जुलाई 2021 तक डीए फ्रीज किया जाता है। सब जानते है कि डीए वेतन नही होता है, बल्कि यह महंगाई बढ़ने पर उसके असर से कर्मचारियो को बचने का एलाउंस है। यह प्राइस इंडेक्स से जुड़ा हुआ है। जैसे ही महंगाई बढती है, मंहगाई भत्ते की सरकार घोषणा कर देती है ताकि कर्मचारियो के वेतन की वैल्यु रुपये के अवमूल्यन से प्रभावित न हो।
यह सर्वविदित है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए केवल सरकारी कर्मचारी और सरकारी संस्थान ही पब्लिक की सेवा में उनकी जीवन सुरक्षा के लिए काम करने आये है, जिसमे डॉक्टर्स और सुरक्षा में लगे पुलिस वाले और सैनिक आदि सभी शामिल है, ये ही पब्लिक की जीवन रक्षा में जुटे हुए है।



प्राइवेट तंत्र और निजी बाजार पब्लिक की सेवा के लिए आगे आने की बजाय मौके का फायदा उठा कर दवाइया, मास्क और सेनेटाइजर्स जैसी जीवन रक्षक चीजे ब्लैक करने में लगे हुए है। आपदा में इन कालाबाजारियो की शर्मनाक करतूतों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की बजाय सरकार ने कर्मचारियो के भत्ते जुलाई 2021 तक रोक दिए है।
यानि महंगाई बढ़ेगी और महंगाई भत्ता नही बढ़ेगा। यह सर्वथा गलत और पूंजीपतियों के भले के लिए उठाया कदम है। इससे कर्मचारियो में नकारात्मक संदेश जायेगा। उनका मनोबल टूटेगा।
सरकार को चाहिए कि वह देश मे महंगाई रोके क्योंकि महंगाई भत्ता रोकना न्यायसंगत समाधान नही है। सरकार सख्त कदम उठाकर महंगाई को लगाम लगाये और पब्लिक की परचेजिंग कैपेसिटी बढ़ाये। लॉक डाउन से होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए डीजल व पेट्रोल पर टैक्स कम करके 30 रुपये डीजल और 40 रुपये पेट्रोल के दाम निर्धारित करके एक झटके में महंगाई को कम करके सभी वर्गों को राहत दे। 
पूंजीपतियों को छूट देना और जीवन दाव पर लगाकर पब्लिक की सेवा में लगे सरकारी कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता रोकने के आदेश करना कर्मचारियो के साथ घोर अन्याय है, इस निर्णय से यह प्रतीत होता है कि सरकार कर्मचारी, मजदूर और किसानों की विरोधी सरकार है? कर्मचारी संगठन सरकार के इस कदम का हर स्तर पर विरोध करेंगे।
कर्मचारियो को मिट्टी में मिल जावा और नदियों में बह जावा जैसे गाने सुनाने और जय जवान जय किसान के नारे लगाने से काम नही चलेगा।


लेखक दिल्ली गवर्नमेंट प्रोग्रेसिव एम्प्लाइज फोरम के अध्यक्ष हैं 


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