केंद्र सरकार कोरोना से लड़ने के लिए वित्तीय सहायता न देकर दिल्ली सरकार के साथ राजनीति कर रही - मनीष सिसोदिया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को सीओवीआईडी-19 से लड़ने के लिए केंद्र सरकार से दिल्ली सरकार को कोई सहायता राशि नहीं मिलने पर कड़ी नाराजगी जताई है। केंद्र की इस कार्रवाई को शर्मनाक और सौतेला व्यवहार करार देते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सीओवीआईडी- 19 से लड़ने के लिए अन्य राज्यों को आपातकालीन सहायता के रूप में 17,287 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को संबोधित करते हुए एक पत्र में अपनी निराशा व्यक्त की है। केंद्र इस संकट की घड़ी में दिल्ली की जरूरतों की अनदेखी कर रहा है।

 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पूरा देश कोरोना वायरस से पीड़ित है। दिल्ली सरकार और दिल्ली की जनता केंद्र सरकार के साथ सामूहिक रूप से इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए काम कर रही है। कल, केंद्र सरकार ने एक आपातकालीन आपदा प्रबंधन राहत प्रदान की। सभी राज्यों को 17,000 करोड़ रुपये की राशि दी गई और दिल्ली को इसमें से एक भी रूपया नहीं दिया गया। इससे हम काफी हतोत्साहित हुए हैं और काफी निराशा हुई है। हमें न तो संघीय ढांचे में और न तो इस समय जो आपदा हमारे सामने उत्पन्न हुई है, उसमें केंद्र से ऐसी स्थिति में राजनीति करने की उम्मीद नहीं है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश की राष्ट्रीय राजधानी है और कोरोना को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर दिल्ली में काम कर रही हैं। दिल्ली को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करना, सिर्फ यह दर्शाता है कि कोरोना जैसी आपदा के समय भी केंद्र सरकार राजनीति खेल रही है।

 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है कि जब पूरा देश सामूहिक रूप से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, तो दिल्ली को राहत देने के दायरे से बाहर रखना निराशाजनक है। हमने केंद्र से दिल्ली सरकार को और अधिक पीपीई और जांच किट प्रदान करने का अनुरोध किया है, लेकिन, इस समय हम सभी एकजुट रहें और राजनीति न करें।

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को संबोधित पत्र में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली को पैसे के आवंटन से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आश्वासन दिया था कि सभी राज्यों को आपातकालीन आपदा प्रबंधन सहायता के रूप में 17,287 करोड़ रुपये आपदा निधि से राहत प्रदान की जाएगी। यह बेहद दुखद है कि भारत की राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद दिल्ली को छोड़ दिया गया है और दिल्ली की जरूरतों की अनदेखी की जा रही है।

 

उन्होंने यह भी कहा कि 386 सीओवीआईडी-19 पाॅजिटिव मामलों के साथ, दिल्ली देश के सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने 23 मार्च को दिल्ली में पूर्ण रूप से लाॅक डाउन की घोषणा की थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा देश को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।

 

स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भारत सरकार के साथ सामूहिक रूप से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ने में दिल्ली सबसे आगे रही है। दिल्ली सरकार पूरे राज्य में दिन में दो बार 6.5 लाख से अधिक लोगों को भोजन प्रदान कर रही है और लगभग 10 लाख लोगों को भोजन प्रदान करने की क्षमता रखती है। दिल्ली सरकार ने दिल्ली में 71 लाख लाभार्थियों को 7.5 किलोग्राम राशन मुफ्त देने का प्रावधान किया है और गैर-राशन कार्ड धारकों को राशन प्रदान करने के लिए योजना पर काम शुरू दिया है। ऐसी स्थिति में दिल्ली को राहत कोष के दायरे से बाहर रखा जाना दिल्ली के लोगों के प्रति अनुचित व्यवहार है।

टिप्पणियाँ