दिल्ली कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा परीक्षण शुरू कर रहा, हम जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए हर संभव उपाय करेंगे- अरविंद केजरीवाल

  • दिल्ली सरकार ने प्लाज्मा तकनीक का परीक्षण करने के लिए केंद्र से अनुमति मांगी थी, जो मिल गई है

  • अगले तीन-चार दिनों में डाॅक्टर प्लाज्मा तकनीक से कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज का करेंगे परीक्षण 

  • यह परीक्षण सफल रहता है, तो कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी

  • मार्च के अंतिम और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में काफी कोरोना के केस आए, उनमें काफी मरीज अब ठीक हो रहे, कुछ को अस्पतालों से छुट्टी दी जा रही- अरविंद केजरीवाल



दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार ने कोरोना से ग्रसित मरीजों का इलाज प्लाज्मा तकनीक से करने का प्रयास तेज कर दिया है। दिल्ली सरकार के डाॅक्टर जल्द ही प्लाज्मा तकनीक की मदद से कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज करने का परीक्षण शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि कुछ देशों में कोरोना के मरीजों का प्लाज्मा तकनीक से इलाज करने पर अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने भी प्लाज्मा तकनीक का परीक्षण करने का फैसला लिया है। दिल्ली सरकार ने 14 अप्रैल को केंद्र सरकार से परीक्षण करने की अनुमति मांगी थी और केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है। अगले तीन-चार दिनों में हमारे डाॅक्टर इस तकनीक का परीक्षण करेंगे। यह परीक्षण सफल रहा, तो कोरोना मरीजों की जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी। हम लोगों के जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए हर संभव उपाय करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि मार्च के अंतिम और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में कोरोना के काफी मरीज सामाने आए थे, उनमें से अब कई मरीज ठीक हो गए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है।

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डिजिटल प्रेस वार्ता कर कहा कि कोरोना की वजह से सभी लोग बहुत निराश हैं। इस माहौल में एक छोटी सी आशा की किरण दिखाई दे रही है। कुछ देशों में प्लाज्मा तकनकी का इस्तेमाल किया गया है और उसके नतीजे अच्छे आए हैं। उन्होंने कहा कि करोना से मुक्ति तभी मिलेगी, जब इसका कोई वैक्सिन बन जाएगा। जैसे कुछ वायरस की बीमारियों में वैक्सिन लगा लें, तो वह बीमारी दोबारा नहीं होती है। उसी तरह कोरोना से मुक्ति तभी मिलेगी, जब वैक्सिन बन जाएगा।

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे सामने दो चुनौतियां हैं। पहली, किस तरह से हम कोरोना को फैलने से रोकें। इसके लिए हम सोशल डिस्टेंसिंग और लाॅक डाउन कर रहे हैं, क्योंकि यह एक-दूसरे से फैलता है। दूसरा, अगर किसी को कोरोना हो जाए, तो सभी लोग चाहते हैं कि वह व्यक्ति ठीक होकर अस्पताल से घर चला जाए। उसकी मौत न हो। यह देखा गया है कि उसमें कोई और बीमारी डायबिटिज, हाॅर्ट की समस्या, सांस की बीमारी, कैंसर है, तो उसके जीवन के उपर संकट आ जाता है और अक्सर कई केस में उसकी मौत हो जाती है। ऐसे मामलों में जो गंभीर मरीज होते हैं, उसमें अगर प्लाजा तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, तो उनके बचने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा कुछ देशों में देखने को मिला है। हमारे दिल्ली के कुछ डाॅक्टरों ने इस पर अध्ययन किया है और इसका ट्रायल करने की तैयारी शुरू की है। हमने 14 अप्रैल को केंद्र सरकार से इसका ट्रायल करने की अनुमति मांगी थी। अच्छी बात यह है कि उसी रात को केंद्र सरकार से ट्रायल करने की अनुमति मिल गई है। अब अगले तीन-चार दिन के अंदर हमारे डाॅक्टर इसका ट्रायल करेंगे और देखेंगे कि यह कितना सफल होता है। अगर इसमें हमें सफलता मिलती है तो यह हमारे लिए एक अच्छी बात होगी, क्योंकि फिर हम गंभीर रोगी की जिंदगी बचा पाएंगे। अगर यह सफल होता है, तो लोगों के बचने की संभावना बढ़ जाती है। यहां मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अभी यह ट्रायल स्टेज पर है। यह सफल होगा या नहीं, यह चार-पांच दिन के अंदर डाॅक्टरों के ट्रायल करने के बाद पता चलेगा।

 

प्लाज्मा तकनीक में कोरोना से ठीक हुए मरीज से खून लेकर उसमें से प्लाजा निकाल कर दूसरे मरीज में प्रवेश कराया जाता है- अरविंद केजरीवाल

 

मुख्यमंत्री ने प्लाज्मा तकनीकी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस तकनीकी में जिस व्यक्ति को कोरोना एक बार हो जाता है और वह जब ठीक होता है, तो उसके खून में एंटी बाॅडिज विकसित हो जाते हैं। यह एंटी बाॅडिज उसे ठीक होने में मदद करते हैं। जो व्यक्ति कोरोना से ठीक हो गया है, वह अपना रक्तदान करता है। जैसे हम रक्तदान करते हैं, उसी तरह कोराना से ठीक हुए व्यक्ति से खून लिया जाता है। वह एक बोतल खून देता है, उसके खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है। उस प्लाज्मा को इन-रीच किया जाता है। उस इन-रीच प्लाज्मा को किसी दूसरे मरीज में प्रवेश करा दिया जाता है। नए मरीज में प्लाज्मा के एंटी बाॅडिज चले जाते हैं और उसके शरीर में भी कोरोना को ठीक करने वाले एंटी बाॅडिज विकसित हो जाते हैं। इस तरह से यह तकनीक काम करती है। हम सब प्रार्थना करते हैं कि हमारा यह ट्रायल सफल हो। अगर यह सफल होता है, तो कुछ उम्मीदें बढ़ेगी। जैसा हमें पता चला है कि केरला, महाराष्ट्र जैसे कुछ और राज्य भी इस पर काम कर रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि सबके प्रयास सफल होंगे।

 

कंटनेमेंट जोन में सिर्फ उन्हीं के सैंपल लिए जाते हैं, जिनमें कोरोना के लक्षण मिलते हैं- अरविंद केजरीवाल

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में हमने करीब 57 कंटेनमेंट जोन बनाए हैं। कंटेनमेंट जोन वे हैं, जिस काॅलोनी या गली के अंदर तीन या तीन से अधिक कोरोना के मरीज मिलते हैं, तो उसे हम चारों तरफ से सील कर देते हैं। वहां के रहने वाले लोगों को बाहर और बाहर के लोगों को अंदर नहीं जाने देते हैं। ताकि बीमारी बाहर न फैले। वहां पर हम आंॅपरेशन शील्ड शुरू करते हैं और उस एरिया का सैनिटाइजेशन आदि करते हैं। ऐसे कंटेनमेंट जोन के अंदर क्या-क्या किया जाता है, उस बार में अभी भी बहुत सारी गलत फहमियां हैं। हमारे पास भी बहुत सारे फोन और मैसेज आते हैं। अक्सर यह मैसेज आता है कि हमारे एरिया को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है, लेकिन अभी तक हमारे यहां कोई सैंपल लेने के लिए नहीं आया है। मैं स्पष्ट कर दूं कि कंटेनमेंट जोन में सबसे पहले आवश्यक सेवाओं का इंतजाम किया जाता है। आपके एरिया को सील कर देते हैं। उस बाउंड्री पर राशन व दवाई आदि का इंतजाम किया जाता है। पुलिस अधिकारी वाट्सएप ग्रुप बनाते हैं। आप उस ग्रुप पर लिखते हैं कि आपको क्या चाहिए? वह सामान आपको मुहैया कराया जाता है। उस एरिया को सैनिटाइज किया जाता है। फिर डोर-टू-डोर सर्वे किया जाता है। सर्वे सभी के घर का होता है। प्रत्येक घर दिल्ली सरकार की एक टीम जाती है और उनसे पूछती है कि आपके घर में कोई बीमार तो नहीं है। किसी को बुखार तो नहीं है। किसी को सांस की शिकायत तो नहीं है। वह टीम कोरोना के लक्षणों के बारे में पूछती है। यह सर्वे 100 प्रतिशत लोगों का होता है। अगर किसी कंटेनमेंट जोन में यह सर्वे अभी तक नहीं हुआ है, तो दो-चार दिन में हो जाएगा। दिल्ली में काफी कंटेनमेंट जोन बना दिए गए हैं। कई बार एसडीएम के पास टीम की कमी पड़ जाती है। इसलिए सर्वे में देरी हो सकती है। जिन लोगों में कोरोना के लक्षण मिलते हैं, सिर्फ उन्हीं लोगों के सैंपल लिए जाते हैं। इसलिए सभी लोग यह उम्मीद न करें कि सभी के सैंपल लिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं। हमने देखा है कि किस तरह दिलशाद गार्डन कंटेनमेंट जोन में 15-20 दिन बाद भी एक भी कोरोना का केस नहीं आया है। कंटेनमेंट जोन में शामिल वसुंधरा एंक्लेव में 15 दिन बाद भी कोई केस नहीं आया है। खिचड़ीपुर की गलियों को हमने सील किया था, वहां भी कोई केस नहीं आया है। अभी तक यह प्रयोग सफल रहा है। इस दौरान आप लोगों को परेशानी ज्यादा आती है, लेकिन सबके प्रयास से ही हम सफल हो पाएंगे।

 

मीडिया और आम लोगों से अपील, सामूहिक प्रयास से ही हम सफल होंगे- अरविंद केजरीवाल

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कल यमुना के किनारे कई सारे प्रवासी गरीब लोग एकत्र हो गए थे। जैसे ही हमारे संज्ञान में लाया गया है, हमने तत्काल उनके रहने और खाने का इंतजाम कराया। स्कूल की बिल्डिंग में उनके रहने का इंतजाम किया गया है और उनके खाने का भी इंतजाम किया गया है। मेरी आप सभी लोगों से हाथ जोड़ कर गुजारिश है कि सरकार की तरफ से खाने का बहुत इंतजाम किया गया है। कल भी 9 लाख लोगों ने लंच और डिनर किया है। यदि वहां 9 लाख की जगह 15 या 20 लाख लोग भी आ जाएंगे, तो उनका भी हम इंतजाम करेंगे। उसी तरह हमने जिनके पास राशन कार्ड थे, ऐसे 71 लाख लोगों को राशन दे दिया है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे, उन्हें राशन देने का सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से भी अनुरोध किया कि इतनी व्यवस्था करने के बावजूद भी जो बहुत गरीब लोग हैं, उन लोगों को पता नहीं चल पाता है कि सरकार ने क्या व्यवस्था की है? उन्हें पता नहीं चल पता है कि सरकार ने कहां व्यवस्था की है और वे कहां जाएं? कोई भूखा है, तो वह कहां जाए? जिस तरह से कल हमें यमुना के बारे में बताया गया, तो हमने तुरंत कार्रवाई की। ऐसे ही सोशल मीडिया पर हमारी पूरी टीम नजर रख रही है। जैसे ही सोशल मीडिया पर कोई बताता है कि कहीं कोई परिवार या व्यक्ति भूखा है, तो हमारी टीम उसे तुरंत खाना पहुंचाती हैं और उसके रहने का इंतजाम किया जाता है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से अपील की कि आप हमें बताइए कि कहां कौन भूखा है, हम उन्हें खाना पहुंचाएंगे। यह जिम्मेदारी हमारी है। जहां-जहां हमारे खाने के केंद्र चल रहे हैं, उन सभी जगहों की लिस्ट हमने नक्शे पर डाल दिया है। यदि संभव है तो आप उस व्यक्ति को खाने वाली जगह पर लेकर जाएं। इस वक्त सबकी जिम्मेदारी बनती है। न कोई अकेली सरकार और न कोई अकेली एजेंसी सफल हो सकती है। सब लोग मिल कर काम करेंगे, तभी हम सफल होंगे। जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन लोगों को राशन लेने के लिए वेबसाइट पर जाकर आवेदन करने के लिए कहा गया है, इस पर मीडिया ने सवाल उठाए थे कि वेबसाइट पर कौन से गरीब लोग आएंगे? मैं बताना चाहता हूं कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, ऐसे करीब 15 लाख लोेगों ने अब तक राशन लेने के लिए आवेदन कर दिया है। मैं समझ सकता हूं कि सभी गरीब लोगों को वेबसाइट के बारे में पता नहीं चलेगा, लेकिन हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी को बताएं। हमें एक सिस्टम तो बनाना ही पड़ेगा। जिनके पास आधार कार्ड आदि नहीं है, उनके लिए खाने का इंतजाम है। 9 लाख लोगों ने कल खाना खाया है। प्रतिदिन हम करीब 10 लाख लोगों को खाना खिलाने का इंतजाम कर रहे हैं। हम सब को मिल जुल कर प्रयास करना होगा।

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में कई सारे कोरोना के मरीज दिल्ली में आए थे, अब वह ठीक होने लगे हैं। आज भी कई मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी और आने वाले दिनों में भी कई सारे मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी। मैं उम्मीद करता हूं कि सभी लोग ठीक होकर अपने घर ठीक खुशी-खुशी जाएं और दिल्ली के लोग कोरोना के बचे रहें।

टिप्पणियाँ