श्री गुरु नानक देव युग पुरुष थे – प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित

“निर्गुण-सगुण से परे परम तत्त्व की खोज ही संत काव्य है| संत काव्य मूलत: लोकोन्मुख है| इसमें गहरा रहस्य बोध है, भोगा हुआ यथार्थ है| भारतीय संत काव्य परंपरा में एक से बढ़कर एक महान संत कवि हुए, उनमे श्री गुरु नानक देव जी का विशिष्ट स्थान है| वे सही अर्थों में युग पुरुष थे, उन्होंने अपनी वाणी से पूरे युग का यथार्थ व्यक्त किया और युग का मार्गदर्शन किया|” ये शब्द नव उन्नयन साहित्यिक सोसाइटी द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में  ‘भारतीय संत काव्य परंपरा और श्री गुरु नानक देव’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बीज वक्तव्य देते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहे|


प्रति वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नव उन्नयन साहित्यिक सोसाइटी (पंजी.) द्वारा दिनांक 4 मार्च, 2020, बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का आयोजन चार सत्रों में संपन्न हुआ, जिसमें संत काव्य के विशेषज्ञों सहित देश भर से आए विभिन्न विद्वतजन ने भाग लिया और संत काव्य और श्री गुरु नानक देव के महत्त्व और प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के उपनिदेशक,डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने अपने अमूल्य विचारों से संगोष्ठी को संबोधित किया और निदेशालय द्वारा हिंदी हित में किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। सुप्रसिद्ध समालोचक प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने पर बीज-वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान नव उन्नयन सोसाइटी की त्रैमासिक शोध-पत्रिका 'सहृदय' के ‘मानव मूल्य और हिंदी साहित्य’ विशेषांक का लोकार्पण किया गया। इसके अतिरिक्त डॉ. राजरानी शर्मा की पुस्तक ‘रहीम दोहावली में मानव मूल्य’ और प्रोफे. पूरन चंद टंडन एवं डॉ. विनीता कुमारी द्वारा संपादित दो पुस्तकों ‘अप्रतिम कवि तुलसीदास’ और ‘अप्रतिम कवि तुलसीदास और उनकी रचनाधर्मिता’, का भी लोकार्पण किया गया| संस्था के अध्यक्ष प्रो. पूरन चंद टंडन ने संस्था का परिचय एवं उद्देश्य प्रस्तुत किया। संस्था की महासचिव डॉ. विनीता कुमारी ने उद्घाटन सत्र का प्रभावी सत्र संयोजन किया| डॉ. राजा राम यादव एवं साथियों ने मंगलाचरण एवं गुरुवाणी का पद गाया| गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के विद्यार्थियों ने गुरबानी का पथ किया|


दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. श्योराज सिंह ‘बेचैन’ ने संस्थान के कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की| इनके अतिरिक्त प्रो. मोहन,  प्रो. जय प्रकाश शर्मा, प्रो. जसपाल कौर, प्रो. बाबू राम, प्रो. रमेश चंद्र मिश्र, प्रो. संजीव कुमार, प्रो. हरप्रीत कौर, डॉ. बेअंत कौर, डॉ.रामशरण गौड़ आदि ने विषय के विविध पक्षों पर अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. रवि शर्मा, डॉ. राजरानी शर्मा एवं डॉ. करुणा शर्मा ने सत्र संयोजन किया। संगोष्ठी के दौरान चंडीगढ़ से आए डॉ. अरविंद कुमार एवं अन्य प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों द्वारा शोध-आलेख वाचन किए गए। कार्यक्रम में लगभग तीन सौ शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।


समापन सत्र में प्रमाण पत्र वितरण के पश्चात् संस्था के अध्यक्ष प्रो. पूरन चंद टंडन ने सभी अतिथियों, आयोजन समिति के सदस्यों एवं उपस्थित सहृदय समाज का धन्यवाद ज्ञापन किया|  


 


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