तीन शाम, महासंग्राम

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिये बृहस्पतिवार शाम तक प्रचार होना है, प्रचार का महासंग्राम तीसरी शाम तक जारी रहेगा। इस दौरान तीनों पार्टियों के महारथी धुआंधार प्रचार करते हुये तीखे, तेजतर्रार मिसाइल जैसे शब्दबाण से विरोधियों को इस हद तक मूर्छित करने वाले हैं कि खुद को हनुमान भक्त कहने वाले,संसद में जयश्रीराम का नारा लगाने वाले और पिछले चुनाव में मंदिर मंदिर जा कर  जीत की दुआ मांगने वाले भी अपने हनुमान से कह कर संजीवनी बूटी नहीं मंगवा सकेंगे। इस दौरान सबसे पुरानी पार्टी का पूरा शाही परिवार जनसभाओं को संबोधित करेगा और परिवार की नजाकत दिखाते हुये रोड शो करेगा। पार्टी को भरोसा है कि शाही परिवार की  नजाकत और अदायें थोक में वोट दिलवा सकेंगी। कुछ कमी होगी तो दो बार के पीएम रहे अर्थशास्त्री मददगार साबित होंगे। इस पार्टी का प्रचार अब तक दम तोड़ता दिखायी दे रहा था लेकिन अब परिवार की कोशिशों और दिवंगत शीलाजी का नाम भुनाने से शायद पार्टी फील गुड महसूस कर रही है। अचरज है कि पार्टी के जो नेता शीलाजी  के साथ बात नहीं करते थे और उन्हें देखना पसंद नहीं करते थे वे आज उस नेत्री की तस्वीर लगा कर वैतरणी पार करना चाहते हैं।  उधर भगवा पार्टी समूचे दल बल और अपने शीर्ष नेताओं के साथ मिलकर कमान संभाले है । अब पीएम साहिब के अचूक तर्क भी तो विपक्ष को तार तार कर देंगे। जीत की फिजा बनाने में इस पार्टी को महारत हासिल है लेकिन विजय की गांरटी नहीं दी जा सकती। कुछ भी हो भगवा दल दिल्ली के पिछले 50 दिन के घटनाक्रम से बहार की उम्मीद रखे है। उम्मीद पर दुनिया जिंदा है। उधर मधुमेह से परेशान सीएम दोनों दलों के प्रचार से रत्ती भर चिंतित नहीं दिखते और बिना मीठा खाये लोगों से मीठी बातें कर रहे हैं। इस पार्टी के पास प्रचार के लिये एक ही नेता हे, ऐसी पार्टी में किसी और की जरूरत हो नहीं सकती। सीएम शायद बाकी दोनों दलों के प्रचार को महज शोरशराबा मान कर कह रहे है कि आखिर फ्रीशिप का ब्रह्मास्त्र कैसै फेल हो सकता है। आज मंगलवार को इस पार्टी का घोषणापत्र आयेगा उसमें फ्रीशिप के लगातार छह सिक्सर और जुड़े होंगे। लोग कह रहे हैं कि अगर झाड़ू पार्टी की सरकार इस बार बन गयी तो वह अगली बार भी आयेगी तथा पुरानी पार्टी के 15 साल के शासन का रिकार्ड तोड़ेगी। अब तो दिल्ली के कंवारे मांग कर हैं कि सरकारी खर्च पर पूरी शान के साथ उनकी शादी करवाई जाये। जवानी में मस्त इन कंवारों को समझना चाहिये कि इस बार का घोषणापत्र बन गया है। हो सकता है कि झाड़ू पार्टी 2025 का चुनाव जीतने के लिये कवारों की माग को अपने सिर माथे पर लगायेगी, आखिर उसे हर बार फ्रीशिप का मजबूत सहारा चाहिये।


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