सबको सन्‍मति दे भगवान

दिल्‍ली को मत जलाओ, दिल्‍ली को आगे बढ़ने दो।  पिछले 70 दिन से दिल्‍ली के दानिशमंद लोगों के दिमाग में जलजला है, आखिर क्‍या मामला है  इस तरह दिल्‍ली को बर्बाद करोगे तो क्‍या दिल्‍ली की मिली-जुली तहजीब, दिल्‍ली की गंगा-जमुनी रिवायत, दिल्‍ली की खुशबू, दिल्‍ली की चहल पहल जिंदा रह सकेंगीकिसने दिल्‍ली पर नजर लगा दी है कि दिल्‍ली को चाहने वाले आज इसे बदनाम करने पर आमदा हैं।   दिल्‍ली के चेहरे पर कभी शिकन दिखाई नहीं देती थी लेकिन आज दिल्‍ली दिनदहाड़े कुचली जा रही है।  हैरानी की बात है कि यह देखते हुए बहुत कम ऐसे दिल्‍ली वाले हैं जिन्‍हें दिल्‍ली के अतीत और समृद्ध परंपराओं के बिखरने, टूटने, लूटे जाने पर दर्द महसूस हो रहा है।  क्‍या दिल्‍ली  फिरकापरस्‍ती की आग में झुलसकर अमन और मुहब्‍बत के पैगाम को अलविदा कहने वाली है?  दिसम्‍बर 2019 से दिल्‍ली में जो हादसे हुए वो सद्भाव और भाइचारे के सीने पर आधात हैं जिन्‍हें ठीक करने में वक्‍त लगेग। एक ऐसे समय दिल्‍ली में खुलेआम गोलियों से बेकसूर लोगों को मार देने, पेट्रोलपंप को आग के हवाले कर देने और दिल्‍ली के आसमान को काला कर देने की वारदात हो रही हैं।  जब संसार के शक्‍तिशाली देश के राष्‍ट्रपति राजधानी में बापू की समाधि पर नमन कर रहे हैं।  ऐसे में ये हादसे दिल्‍ली के इतिहास पर दाग हैं।  क्‍या हम ऐसी दागी घटनाएं लगातार होने देंगे ऐसी घटनाएं रोकने के लिए दिल्‍ली के तीन राजनीतिक दलों के नेताओं और दोनों धर्मों के प्रमुख व्‍यक्‍तियों को एकसाथ प्रभावित कालोनियों में जाकर अमन और भाइचारे की अपील करनी होगी।  अगर ऐसा नहीं हुआ तो दिल्‍ली का हाल, बदहाल हो जायेगा और दिल्‍ली के माथे पर कलंक लग जायेगा।  ये नफरत की आंधी आपसी मजबूत रिश्‍तों को धूल में मिला देगी। दिल्‍ली संसार में भाइचारे के लिए जानी जाती है।  दिल्‍ली के चांदनी चौक में आधा किलोमीटर इलाके में मंदिर, मस्‍जिद और चर्च हैं।  क्‍या इनसे निकलने वाली असरदार दुआयें दिल्‍ली को बदनाम होने से बचाने का काम नहीं करेगी  हमें पुख्‍ता यकीन है कि ये दुआयें दिल्‍ली को फिर अमन की राजधानी बनाकर सियासत, फिरकापरस्‍ती के स्‍वार्थ से खुलूस के इस  शहर को सदा के लिए दूर कर देगी।  आज हमें बापू का भजन  याद कर उस पर अमल करना चाहिए।   रघुपति, राघव राजा राम।  पतित पावन सीता राम।  ईश्‍वर अल्‍लाह  तेरो नाम, सबको सन्‍मति दे भगवान।


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