![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjjDbvF5HzAIe8Vcxfv93LeH27Cv68w13X70WXg3x29iNru3dF2LHl_jxt2C0FGRqZoG01NZ_a8FAc5uGmCWM_hGK5VoyWaOMQ5L0e0wgum4vrgeHcUI_t1J0QAIhQodeetCmTxMOGHbkZ45VeHS9IxWdBd_WzkdffDhyphenhyphennNId1wiuEAT6-d91NK1f1TP6c/s320/Yoga%20Day.jpeg)
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किसी भी बेजुबान पर आसानी से जब तक कोई चाहे जुल्म कर सकता है, इसके बहुत उदाहरण मिल जाते हैं। कहते हैं कि जुल्म की भी हद होती है। जब जुल्म के दौर की सीमा इतनी बढ़ने लगती है कि महसूस होने लगे कि यह खत्म होने वाला नहीं है तो किसी न किसी को कुछ सोचने, करने को मजबूर होना पड़ता है। इन दिनों कुछ करने के लिये अक्सर ऐसा कदम सरकारी एजेंसियां उठाती हैं। आज के हालात पर गौर करें तो महसूस होगा कि एक बेजुबान सड़क जुल्मो सितम से दबी जा रही है और वह खुद न तो अपना दर्द जाहिर कर सकती है और न ही किसी से मदद का आग्रह कर सकती है। दिल्ली में यह सड़क पिछले एक महीने से गुलामी के शिकंजे में कैद है और वह उपने ऊपर लदे बोझ के कारण सांस भी नहीं ले पा रही। हमारे लोकतंत्र में इसे कौन जायज मानेगा कि कालिंदी कुंज और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क अनिश्चित काल तक बंद रहे भले ही देश के बेतहाशा ईंधन और हर रोज हजारों लोगों का बहुमूल्य समय बर्बाद होता रहे और देश का विवेक सोया रहे। इस सड़क पर प्रदर्शनकारियों ने ठीक उसी तरह कब्जा कर रखा है जैसे कुछ दशक पहले वाम विचारधारा के लोग किसी भी जायदाद पर लाल झंड़ा लगा कर कब्जा कर लिया करते थे। प्रदर्शन करना उस हद तक जम्हूरियत में जायज माना जा सकता है जब तक दूसरे नागरिकों के जीवन और कामकाज में कोई बाधा पैदा नहीं हो। प्रदर्शनकारियों की मनमानी के कारण लोगों को कष्ट हो तो सरकार को सोचना होगा। दिल्ली और नोएडा के बीच हर रोज हजारों वाहनों और लोगों को एक तरफ के सफर में दो से तीन घंटे ज्यादा लग रहे है, यह तो राष्ट्रीय नुकसान है। ठीक है ऐसे हालात में प्रदर्शनकारी अपने सही या किसी प्रकार की जिद्द से जुड़े प्रदर्शन को किसी मैदान में करें ताकि साथी नागरिकों को कोई तकलीफ नहीं हो। ऐसा करते हुये जब तक चाहे कई वर्ष तक प्रदर्शन या धरना कर सकते हैं। आखिर सेंटर में नोकरियों की प्रवेश परीक्षा में हिन्दी माध्यम को शामिल करने के लिये भी तो लगभग सात वर्ष तक यूपीएएस के सामने धरना चला था। इसी वर्ष रलवे में दिव्यांगों की भर्ती को लेकर एक महीने से अधिक समय तक मंडी हाऊस पर सड़कों पर जबरन सिट इन जारी रहा था। जब हद होने लगी तो पुलिस ने उन्हें वहां से हटा कर समुचित स्थान तक पहुंचाया था। इसलिये अब पुलिस को या कोर्ट को कालिंदी कुंज सड़क और प्रभावित लोगों के कष्ट का संज्ञान लेना होगा। जनहित याचिका में हाई कोर्ट ने पुलिस से समाधान की उम्मीद लगाई है। इसलिये कि कहीं ऐसा न हो कि प्रदर्शनकारी और सड़क बंद होने से प्रभावित लोग आमने सामने आ जायें तथा हालात बेकाबू हो जायें।