

दिल्ली में रात के आखिरी पहर यानि बड़े सवेरे सोये सोये चालीस से ज्यादा लोग मौत की अनंत निद्रा में जीवन से अपने रिश्तों को अलविदा करते हुये न जाने किस जहां में कूच कर गये। यमराज का कुछ समय का ऑपरेशन अंत इतना घातक था कि किसी को कुछ सोचने, संभलने का अवसर नहीं मिल सका। दूसरे शब्दों में कहें तो सबके लिये आकर्षण का केन्द्र बनी दिल्ली में इधर उधर हादसों के हॉट स्पॉट बने हैं जो यमराज के एजेंट का काम करते हैं। सत्य है कि दिल्ली में लोग कुछ हद तक इन खतरों से भली भांति वाकिफ हैं मगर दिल्ली की भागती दौड़ती जिंदगी ऐसे हॉट स्पॉट से बाधित नहीं होती और दिल्ली चौबीस घंटे अपने काम में मसरूफ रहती है। यमराज का दफ्तर सातों दिन चौबीसों घंटे बिना किसी अवकाश और विराम के काम करता है और हर पल, हर क्षण मुस्तैद रहता है। यमराज एक ऐसा क्रूर पुलिस कमांडर है जिसके शब्दकोश में रहम, पुनर्विचार का उल्लेख नहीं होता और इसके दफ्तर का मूलमंत्र है- आर्डर इज आर्डर—नो डिसआर्डर, नो डिसरप्शन, नो करप्शन, नो कंफ्यूजन। एक रविवार की सुबह दिल्ली में बंद पड़े फिल्मिस्तान सिनेमा के पीछे अनाज मंडी में भयंकर आग भड़की जिस पर काबू पाना असंभव लगने लगा क्योंकि संकरी गली में पुरानी बहुमंजिला इमारत में एक फैक्टरी में लगी बुझाने के लिये वहां दमकल गाड़ियों का पहुंच पाना नामुमकिन लगने लगा। यहां हर इमारत के हरेक माले पर जायज, नाजायज फैक्टरियां 24 में से 19 घंटे काम करती हैं, बिजली का लोड कई गुना बढ़ाती हैं और किसी को पता नहीं चलता कि यमराज की किस्मत चमकी और शार्ट सर्किट से भड़की चिंगारी ज्वाला बन गयी। तंग बस्तियों, जेजे कॉलोनियों, कच्ची कॉलोनियों और गांवों में ऐसे यूनिट काम कर रहे हैं। हम दिल्ली के कतरे कतरे का दुरुपयोग अपने फायदे और लालच के लिये करेंगे नतीजन यमराज का कारोबार बढ़ने लगेगा। सड़कों पर हर कोने पर स्ट्रीट फूड बेचने वाले आग जला कर खतरों से खेल रहे हैं। कतरे कतरे पर खतरे के हॉट स्पॉट होंगे तो अंजाम क्या होगा। क्या आकर्षक दिल्ली पर बड़ा ग्रहण नहीं लगेगा। क्या इसे रोकने के लिये रचनात्मक चिंतन की आवश्यकता नहीं है। लालच के नशे में बनी शिथिलता की खुमारी से जागिये, जरा सोचिये।