गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री तथा माननीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, भारत सरकार द्वारा एनबीटी पुस्तकों का लोकार्पण

वर्ष 2019 विश्वभर में गुरु नानक देव जी के 550वीं जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर दुनियाभर में गुरुनानक देव जी के जीवन एवं उनकी शिक्षाओं पर आधारित विभिन्न पैनल चर्चाओं, विचार-विमर्श, पुस्तक लोकार्पण, संगोष्ठियों आदि का आयोजन किया जा रहा है।



इस उपलक्ष्य में, भारतीय पाठकों के बीच गुरु नानक देव जी की लेखनी के प्रसार हेतु राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा तीन पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है, यथा गुरु नानक बाणी, नानक बाणी -तथा  सखियाँ गुरु नानक देव मूलतः इन पुस्तकों का प्रकाशन पंजाबी भाषा में किया गया है, 15 प्रमुख भारतीय भाषाओं में इनका अनुवाद किया जाएगा


राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा प्रकाशित उपरोक्त तीन पुस्तकों का लोकार्पण माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक तथा माननीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, भारत सरकार, श्रीमती हरसिमरत कौर बादल द्वारा 07 नवंबर, 2019 को प्रातः 10.00 बजे, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में किया जाएगा। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं में शामिल होंगे : प्रधानाचार्य, श्री गरु तेग बहादर खालसा कॉलेज, डॉ. जसविन्दर सिंहः अध्यक्ष शासी निकाय, एसजीटीबीकेसी, श्री एस. तरलोचन सिंह; एनसीएमईआई सदस्य, डॉ. जसपाल सिंह, तथा एनबीटी अध्यक्ष प्रो. गोविंद प्रसाद शर्मा।


राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा  गुरु नानक बाणी पुस्तक का उर्दू, ओड़िया, मराठी, हिंदी तथा गुजराती भाषाओं में पहले ही प्रकाशन किया जा चका है। इसका असमिया, बांग्ला, कन्नड, संस्कत, कश्मीरी मलयालम, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, सिंधी तथा अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद यथासमय प्रकाशित कर लिया जाएगा।


गुरु नानक देव जी ने सार्वभौमिक प्रकृति का एक व्यापक दर्शन स्थापित किया जिसकी प्रासंगिकता हर समय में है। उनकी शिक्षाएँ संपूर्ण मानव जाति के लिए हितकारी हैं क्योंकि ये शिक्षाएँ जीवन एवं समाज के सभी पहलुओं को सम्मिलित करती हैं तथा सामाजिक, धार्मिक, रंग, संप्रदाय, जाति आदि भेदभावों, राष्ट्रीय बाधाओं तथा सीमांकन से बहुत परे हैं।


नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यूनियन कैबिनेट में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि राज्य सरकारों तथा विदेशों में भारतीय नियुक्तवद के साथ मिलकर संपूर्ण देश एवं दुनियाभर में वर्ष 2019 को गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के रूप में भव्य तरीके से मनाया जाएकैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों में से एक प्रमुख निर्णय यह था कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा xjck.kh का


प्रकाशन विभिन्न भारतीय भाषाओं में किया जाएगा तथा यूनेस्को द्वारा गुरु नानक देव की लेखनी का प्रकाशन विश्व की प्रमुख भाषाओं में किया जाएगा।


राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा पंजाबी भाषा में प्रकाशित तीन पुस्तकों का विवरण इस प्रकार है :


गुरु नानक बाणी नामक पुस्तक भाई जोध सिंह द्वारा संकलित की गई है तथा इसमें गुरु नानक देव की मूल वाणी से विभिन्न पद विषयवार संकलित किए गए हैं। वर्तमान परिदृश्य में गुरु नानक देव के लेखन की प्रासंगिकता स्पष्ट दिखाई देती है क्योंकि उनकी लेखनी भ्रमित समाज में एक प्रकाशस्तंभ की भूमिका निभाती है। नानक बाणी शीर्षक पस्तक (मंजीत सिंह द्वारा संकलित), गरु नानक देव के पाँच प्रमख लेखन (पाँच बनिया) का संकलन है। जन्म साखियाँ अर्थात् जन्म कथाएँ, गुरु नानक की आत्मकथाएँ हैं। सखियाँ गुरु नानक देव(जगतारजीत सिंह द्वारा संकलित) पुस्तक, गुरु नानक के जीवन की कहानियों पर आधारित है। यह विशेषकर बच्चों के लिए एक सचित्र पुस्तक है।


गुरु नानक देव का जन्म सन् 1469 में पंजाब के एक गांव तलवंडी में हुआ था। अब जिसे ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, जो वर्तमान पाकिस्तान में लाहौर के पास स्थित एक गांव है। गुरु नानक देव जी ने भारत, दक्षिण एशिया, तिब्बत तथा अरब में आध्यात्मिक यात्राएँ कीं। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने 'एक ईश्वर' अथवा 'इक ओंकार' का संदेश फैलाया जो अपनी प्रत्येक रचना में बसता है तथा अनुष्ठानों एवं पुरोहितों के बिना ही सभी मनुष्यों को भगवान के दर्शन करवाता है। गुरु नानक ने मानवजाति की समानता को बढ़ावा दियागुरु नानक के संदेशों को सिख संप्रदाय के पवित्र ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में 974 काव्यात्मक भजनों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


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