

देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों दो मुद्दों पर चर्चा और विज्ञापन की भरमार है जाहिर है कि आगामी विधान सभा चुनाव के कारण ऐसा किया जा रहा है। दिल्ली की सरकार ने दो सप्ताह पहले विज्ञापनों में बड़ा दावा किया था कि राजधानी में प्रदूषण में 25 फीसद की कमी लायी गयी है, आसमान साफ दिखायी दे रहा है। शायद यह एक सोची समझी रणनीति थी और सरकार को मालूम था कि कुछ दिनों में नजदीकी राज्यों में किसान पराली जलायेंगे जिसके फलस्वरुप दिल्ली की फिजां और पर्यावरण बुरी तरह बिगड़ेगा तो सरकार का मकसद पूरा हो जायेगा और वह ताल ठोक कर कह सकेगी कि प्रदूषण दिल्ली की नयी पार्टी के कारण नहीं है। इस पार्टी की सरकार कहेगी कि उसने तो पानी मुफ्त कर दिया, वायु शुद्ध कर दी लेकिन भगवा पार्टी की सरकारों ने दिल्ली की जनता का दम घोटने का ठेका ले रखा है। यह सभी जानते है कि केन्द्र की सरकार ने पिछले 5 साल 5 महीने में दिल्ली की हवा को सेहतमंद बनाने में योजनाबद्ध, चरणबद्ध तरीके से काम किया है। दो पेरिफरल एक्स्प्रेस वे बनवाये ताकि दिल्ली से हो कर जाने वाले वाहन बाहर से अपने गंत्वय तक जा पहुंचें, दिल्ली के प्रवेश स्थलों पर से राजधानी में आने वाले डीजल से चलित वाहनों के प्रदूषण को रोकने के लिये आऱएफआईडी व्यवस्था लागू की, सड़कों को बेहतर बनाने के लिये दिल खोल कर फंड दिया और बड़ी संख्या में प्रदूषण नियंत्रण सेंटर लगाये जबकि दिल्ली सरकार ने तो नगर निगमों को देय राशि तक जारी नहीं की । इसके बावजूद नगर निगमों का कार्य प्रदर्शन अच्छा रहा।