पुरानी दिल्ली को शाहजहां ने बनाया तो लुटियन दिल्ली पर अपना प्रभाव डालते हुये अंग्रेजों ने नयी दिल्ली बनायी, डीडीए ने नियोजित दिल्ली बनायी तो दिल्ली के आकर्षण में यहां सुविधायें लेने अन्य राज्यों से बड़ी तादाद में आये लोगों ने अलग कच्ची कॉलोनियों की दिल्ली बनाई, इन परिवारों ने बरसों तक इन कॉलोनियों में मुश्किलों का सामना किया। देश के वर्तमान वजीरे आजम नरेन्द्र मोदी काफी समय से न्यू इंडिया बना कर प्रस्तुत करने का वादा कर रहे हैं। न्यू इंडिया का मतलब सुविधासंपन्न, स्मार्ट, स्वस्थ,स्वच्छ, सुंदर, समृद्ध, सुरक्षित, सक्रिय, सुनियोजित देश बनाना है। इस बीच लगभग दो महीने से एक बार फिर नयी दिल्ली बनाने की चर्चा जारी है। यह केवल च्रर्चा ही नहीं वास्तविकता है क्योंकि मोदी सरकार ने राजपथ के दोनों तरफ नये सिरे से नया सेन्ट्रल विस्टा बनाने, संसद भवन का पुनर्उद्धार या पुनर्निमाण करने, संसद के निकट 50 साल से अधिक 45 पुराने भवनों को गिरा कर विशाल सचिवालय बनाना और इस पूरे क्षेत्र को नया रूप, नया स्वरुप, नया दृश्य, नया परिदृश्य देकर शानो शौकत के साथ प्रस्तुत करना है। यह बहुत बड़ी परियोजना है और केन्द्र सरकार को इस काम के लिये बीसियों क्स्ट्रक्शन कंपनियों ने मेहनत के बाद प्रेजेंटेशन दिया है। नयी दिल्ली बनाने की खबर भले ही देर से सामने आई मगर सरकार और पीएम महीनों से इस पर मंथन करते रहे हैं। तत्कालीन स्पीकर ताई सुमित्रा महाजन के समय भी नया विशाल संसद भवन बनाने का मुद्दा उठा था लेकिन उसमें ऐसी तेजी नहीं आयी थी जो अब देखी,महसूस की जी रही है। नयी दिल्ली एक बार फिर बनाने की शुरुआत करने में कम से कम दो साल तो लगेंगे मगर समूचा कार्य योजना के अनुसार किया जायेगा। नये सचिवालय में बीस से तीस हजार कर्मचारी काम कर सकेंगे और यह संसद के नजदीक होगा तथा सचिवालय ऐसा होगा जो सौर ऊर्जा से प्रकाशमान होगा और बिजली की खपत कमसे कम होगी, रेनवाटर हार्वेस्टिग होगी तथा दिन के समय पर्याप्त प्राक़तिक प्रकाश रहेगा। आसपास का इलाका भी नयी रंगत, नये अंदाज से निराला, देखनेवाला होगा। नया सेंट्रल विस्टा देख कर सभी हैरान होंगे और वहां गणतंत्र दिवस की परेड निकलेगी तो यूं लगेगा जैसे सोने पर सुहागा है। कहा जा रहा है कि सरकार को बहुत अधिक रकम लगानी होगी लेकिन सरकार का मानना है कि उसे कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि पुराने भवनों का करोड़ों रुपये का रखरखाव और किराये के भवनों का खर्च बचेगा। एक और नयी दिल्ली बनाने की पीएम की सोच और योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा।
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