केवल सात दिन

लुटियन दिल्ली के शानदार बंगलों और बेहतरीन फ्लैट में रह रहे देशभर के 200 से अधिक जनसेवकों यानि संसद सदस्यों को सात दिन में अपने निवास खाली करने को कहा गया है ताकि नए सांसदों को राजधानी में रहने का स्थान दिलाया जा सके। लोकसभा की आवास समिति ने 200 से अधिक सांसदों के सरकारी आवास में ओवरस्टे को गंभीरता से लेते हुए यह आदेश जारी किया। यह भी कहा गया है कि तीन दिन के भीतर बिजली-पानी कनैक्शन काटा जाए। संसद  नहीं रहने के एक माह के भीतर उन्हें आवास खाली करने होते हैं लेकिन वे कुछ ऐसे आधार बनाकर अधिक से अधिक समय तक आवास अपने पास रखने के आवेदन करते रहे हैं। वे अपनी कथित स्थाई सम्पतियों  को अपने पास रखने के लिए बड़ी अदालतों में दस्तक देने से भी गुरेज़ नहीं करते। इसके फलस्वरूप सरकार को उन नए संसद सदस्यों को दिल्ली में अस्थाई आवास प्रदान करने के लिए आलीशान होटलों में ठहराना पड़ता था। लेकिन अब जनपथ स्थित वेस्टर्न कोर्ट में बड़ी संख्या में कमरे बनाए जाने और नए सांसदों उनके संबंधित राज्यों के गेस्ट हाउस में स्थान प्रदान करने के निर्णय के बाद होटलों पर किए जाने वाला खर्च बचाया जा सका है। कई पूर्व सांसद तो यह बहाना बनाकर भी आवास अपने पास रखने की कोशिश करते थे कि दिल्ली में कुछ समय में उनका निर्माणाधीन मकान बनकर तैयार हो जाएगा। कई पूर्व सांसद तो ऐसी बहानेबाजीे जारी रखते हैं ताकि उनके आवास में चल रही फायदेमंद गतिविधियों का आर्थिक लाभ उन्हें मिलता रहे। हमारे एक वरिष्ठ सांसद मित्र को एक बंगला आवंटित हुआ जो उसमें रह रहे पूर्व सांसद खाली नहीं कर रहे थे जब हमने वह बंगला जाकर देखा तो उसके चार कमरों में कई व्यावसायिक दफतर चल रहे थे और एक कमरे में एक दर्जन से बकरियां बंधी थी।


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