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दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अगले साल से देशभक्ति-पाठ्यक्रम लागू होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने आज इसका एलान किया। इस बारे में अपने एक ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने कहा, हम चाहते हैं कि शिक्षा पूरी करने के बाद हर बच्चा एक अच्छा इंसान बने। अपने परिवार का भरण पोषण करने के काबिल बने और एक सच्चा देशभक्त बने।
इस बारे में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने ट्वीट में लिखा, दिल्ली के स्कूलों में अगले साल से देशभक्ति-पाठ्यक्रम लागू होगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने आज इसका एलान करते हुए बताया कि इसके तहत बच्चों को अपने देश पर गर्व करना, देश की समस्याओं के समाधान में जिम्मेदारी लेना और देश के लिए कुर्बानी देने का जज्बा सिखाया जाएगा।
शिक्षा विभाग की तरफ से त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, गांधी जी ने कहा था कि शिक्षा का मकसद कट्टर देश भक्त बनाना है। गांधी जी की इस बात पर काम करने का वक्त आया है। उस दिशा में आज पहला छोटा कदम आज उठाया गया है। हम संविधान पढ़ाने की बात कर रहे हैं। संविधान को महसूस कराने की बात कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, मेरी कल शाम को शिक्षा मंत्री जी से डेढ़ घंटे लंबी मीटिंग हुई और हमने निर्णय लिया कि अब देशभक्त नागरिक तैयार करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का वक्त आ गया है। आज हमारे समाज में ऐसा हो गया है कि हमें देशभक्ति तभी याद आती है जब इंडिया-पाकिस्तान का मैच होता है या बॉर्डर पर टेंशन होती है, रोजाना की लाइफ में हम देश को भूल जाते हैं। हमारी कोशिश है कि देशभक्ति का ये पाठ्यक्रम हर बच्चा महसूस करे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा, देश भक्ति का ऐसा जज्बा हमें बच्चों के अंदर पैदा करना है कि वो देश के लिए, भारत के लिए मर मिटने के लिए तैयार हों। हमारे बच्चे जब पढ़ाई पूरा करके नौकरी पर लगें, अगर किसी दिन वो रिश्वत ले, तो उसे महसूस होना चाहिए कि मैं अपनी भारत माता के साथ गद्दारी कर रहा हूं। अगर वो ट्रैफिक लाइट जंप करें, तो उसे लगना चाहिए कि मैंने भारत के साथ गलत किया। हमारे देश के अंदर विदेशी आते हैं, कितनी बार हम सुनते हैं कि उनके साथ लूट हुई, उनके साथ फ्रॉड हुआ, किसी विदेशी महिला के साथ बलात्कार हो गया, भारत के बारे में वो क्या सोचकर वापस जाते होंगे। हमारे बच्चों के अंदर कूट-कूटकर ऐसी भावना भरी होनी चाहिए कि विदेशियों को हमें अपना मेहमान मानना है। उनको सम्मान देना है।
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा, देशभक्ति के पाठ्यक्रम में हमें तीन चीजें करनी हैं। पहली बात, अपने बच्चों को अपने देश के ऊपर गर्व करना महसूस कराना है। बच्चे अपने देश के ऊपर गर्व करें। उन्हें ऐसी बातें, ऐसी कहानियां, अपने अतीत के बारे में, भारतीय संस्कृति के बारे में, वर्तमान के बारे में ऐसी बातें बतानी हैं, जिससे वह अपने देश के बारे में गर्व करें। दूसरी बात, उसे भारत के बारे में अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराना है। हमारे देश में सौ समस्याएं हैं। हम गरीब हैं। हमारे किसान आत्महत्या करते हैं। हमारे यहां ये समस्या है। हमारे यहां वो समस्या है। लेकिन इसे ठीक कौन करेगा। हमें ही तो ठीक करना है। आने वाले वक्त में जब बच्चे स्कूल से निकलें तो उनको महसूस करे कि अगर ये समस्या मेरे देश की है, तो उसे हमें ही ठीक करना है। मुझे अपने देश को कोसना नहीं है। मुझे अपने देश को गाली नहीं देनी है। अगर ये भारत के अंदर कोई समस्या है, तो ये मुझे ही ठीक करना है, ये अहसास हमें अपने बच्चों के अंदर पैदा कराना है। जिम्मेदारी का अहसास दिलाना है उनको। तीसरी बात, अपने देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा पैदा करना है।
इस मौके पर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर्स और प्रिंसिपल्स देशभक्ति-पाठ्यक्रम तैयार करने में सक्षम हैं। हमारे सरकारी स्कूलों के टीचर्स और प्रिंसिपल्स ने जिस तरह से हैप्पीनेस कैरिकुलम और आन्ट्रप्रनर्शिप कैरिकुलम तैयार किया, उसी तरह देशभक्ति-पाठ्यक्रम भी तैयार करेंगे। इस पाठ्यक्रम को सब लोग मिलकर करेंगे। देश के लोगों के साथ मिलकर करेंगे। देश के लोगों के इनपुट्स लिये जाएंगे। विभिन्न तरह के लोगों के इनपुट्स लेकर इस पाठ्यक्रम को तैयार किया जाएगा।