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एनएचपीसी लिमिटेड, भारत की अग्रणी जलविद्युत कंपनी और भारत सरकार की अनुसूची 'ए' मिनी रत्न उद्धम अपने निगम मुख्यालय कार्यालय, फरीदाबाद में 10 से 12 जुलाई2019 तक "रिवर वैली एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में इंजीनियरिंग जियोलॉजी की भूमिका" पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम का उद्धघाटन 10जुलाई 2019 को श्री बलराज जोशी, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, एनएचपीसी द्वारा श्री निखिल कुमार जैन, निदेशक (कार्मिक), श्री जनार्दन चौधरी, निदेशक (तकनीकी) और एनएचपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
उद्धघाटन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री जोशी ने जलविद्युत और अभियांत्रिक सरंचनाओ के स्थायित्व व स्थिरता के लिए भूवैज्ञानिक जांच के सर्वोपरि महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चुनौतीपूर्ण जमीनी परिस्थितियों में वर्षों से एकत्रित प्रगतिशील ज्ञान के आधार पर रॉकमास के व्यवहार को समझने का अभ्यास एवं मौजूदा सिद्धांतों को लगातार अपडेट करने का समय आ चुका है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधारणा रिवर वैली एवं इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निर्माण चरण भूवैज्ञानिक अध्ययन के महत्व के बारे में युवा पेशेवरों को अंतर्दृष्टि प्रदान करने एवं एनएचपीसी द्वारा वर्षो तक जलविद्युत परियोजनाओं के निष्पादन के दौरान भूवैज्ञानिक और भू-तकनीकी मुद्दों को हल करते हुए अर्जित ज्ञान का प्रसार करने के उद्देश्य से किया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनएचपीसी के साथ-साथ विभिन्न संगठनों के 25 युवा भूवैज्ञानिक और इंजीनियर भाग ले रहे हैं।