

50 वां बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस के अवसर पर, मुख्य सतर्कता अधिकारी, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया श्री परशुराम पाण्डा ने सिस्टम से भ्रष्टाचार को उखाड फेंकने का आव्हान किया है. श्री पाण्डा ने कहा कि भ्रष्टाचार सोसायटी के समन्वित वृघ्दि के लिए मुख्य समस्या है. हमारी अर्थव्यवस्था विश्व के महत्वपूर्ण देशों से तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन सोसायटी मे प्रत्येक 4 व्यक्ति पर एक व्यक्ति दिन में पर्याप्त भोजन प्राप्त नहीं कर पाता है. मूलभूत आवश्यकताएं जैसे एक घर, स्वच्छ पीने का पानी, शौचालय एवं वस्त्र उसकी पहुंच से बहुत दूर है. वे गरीबी में रहने के लिए मजबूर हैं. इसका मुख्य कारण हमारी सोसायटी में फैला हुआ भ्रष्टाचार है जो सामान्य व्यक्ति की पहुंच तक आर्थिक वृध्दि का फल पाने में रुकावट है. श्री पाण्डा ने कहा के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भ्रष्टाचार को उखाड़ने हेतु संसद द्वारा पारित सीवीसी एक वैधानिक संस्था है. प्रत्येक सार्वजनिक क्षेत्र में सतर्कता प्रणाली कार्यरत है जिनके प्रभारी मुख्य सतर्कता अधिकारी हैं, जो सीवीसी के प्रतिनिधि होते है. सीवीओ का मुख्य कार्य सिस्टम को मजबूत करना और भ्रष्ट समस्त कर्मचारियों की पहचान कर भ्रष्टाचार को रोकना है एवं उन्हें आवश्यक दण्ड देना तथा हमारे भ्रष्टाचार से लडने हेतु सिविल सोसायटी सतर्कता प्रणाली से हाथ मिलाकर जागरुकता बढाना है.
भारत सरकार ने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम 1988 में पिछले वर्ष संशोधन किया है अब रिश्वत देने वाला उतना ही दोषी है जितना रिश्वत प्राप्त करने वाला. व्हिस्टल ब्लोयर पॉलिसी की कार्यप्रणाली आम व्यक्ति को सार्वजनिक पदाधिकारी के समक्ष भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में मदद करती है. उनकी पहचान गोपनीय रखी जाती है. श्री पाण्डा ने कहा के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में सिविल सोसायटी को बडे पैमाने पर भाग लेना एवं जागरुकता फैलाने में सहयोग करना है.