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- देश की गवर्नेंस में आज से 10-20 साल बाद जब भी गवर्नेंस रिफॉर्म की बात होगी तो ये एक बेस लाइन की तरह यूज होगा : मनीष सिसोदिया
“अगर आप पूछें कि पिछले साढ़े चार साल की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है तो मुझे कहने में कोई हिचक नहीं होगी कि आउटकम बजट का सफलतापूर्वक संचालन। “दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सचिवालय में आउटकम बजट रिपोर्ट 2019-20 रिलीज के मौके पर ये बात कही।
उन्होंने कहा, “यह आसान काम नहीं था कि किसी डिपार्टमेंट को पैसा देते वक्त ये पूछना कि आप इस पैसे का क्या करोगे? पहले ये सवाल आता था कि हमें स्कूल में लाइब्रेरी बनानी है और किताबें खरीदनी हैं। आप हमें 10 करोड़ रुपये दे दीजिए। इस पर प्लानिंग डिपार्टमेंट का ये पूछना तो ठीक था कि कितनी लाइब्रेरी खोलोगे और कितने स्कूलों में खोलोगे। लेकिन अब ये भी पूछा जा सकता है कि इन किताबों को कितने बच्चे पढ़ेंगे।“
मनीष सिसोदिया ने कहा, “देश की गवर्नेंस में आज से 10-20 साल बाद जब भी गवर्नेंस रिफॉर्म की बात होगी तो ये एक बेस लाइन की तरह यूज होगा। आज हम इसे दिल्ली में आगे बढ़ाएंगे। आने वाले समय में भी यह आगे बढ़ता रहेगा।“ दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री ने कहा, “दिल्ली ने इस बात को भी सुनिश्चित किया है कि अगर आपने 10- 20 करोड़ रुपये किसी हॉस्पिटल को भी दिया है कि यहां मशीन आनी है, तो सरकार यहीं चुप नहीं बैठ गई कि आपने मशीन खरीदी कि नहीं खरीदी। हम यह भी जानना चाहते हैं कि आपने इस 20 करोड़ रुपये की मशीन से कितने लोगों का टेस्ट किया। सरकार की गवर्नेंस का यह एक बहुत बड़ा प्रयोग है। इसका सूत्रधार दिल्ली है और इसका आधार दिल्ली में तैयार हो रहा है और यह पूरे देश में जाएगा।“
मनीष सिसोदिया ने ये भी कहा, “साढ़े चार साल पहले जब दिल्ली के लोगों ने हमें चुनकर भेजा था तो इसलिए नहीं भेजा था कि आप बहुत अच्छे मैनेजर बन सकते हो। आप किसी प्राइवेट कंपनी के मैनेजर की तरह बहुत अच्छा काम कर सकते हो। लोग लीडरशिप चाहते थे। ऐसी लीडरशिप चाहते थे जो दिल्ली को आगे बढ़ाए। और आज मैं आउटकम बजट रिपोर्ट पेश करते हुए यही कहना चाहता हूं कि दिल्ली की लीडरशिप कागजों में कैद रिपोर्ट से संतुष्ट होने वालों में से नहीं है, इस रिपोर्ट में सरकार की हर स्कीम हर प्रोग्रम का जनता को कैसे और कितना लाभ हुआ, उसका सटीक आंकड़ा है|"
मौके पर डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के वाईस चेयरमैन जास्मिन शाह ने कहा कि "2018 में दिल्ली सरकार ने 1900 इंडीकेटर्स या सूचकों पर आधारित अपनी पहली आउटकम रिपोर्ट पेश की थी, आज हम 3,000 सूचकों पर आधारित आउटकम रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं और वो भी theory of change approach के साथ जिसमें ये पता चलता है कि अगर कोई पालिसी आउटकम कम दे रही है, तो वो किन सूचकों पर कम प्रदर्शन दिखा रही है| दिल्ली में सुओ मोटो पारदर्शिता और जनता की तरफ़ जवाबदेही तय की जा रही है और मैं समझता हूं कि पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर आउटकम बजटिंग पर चर्चा होनी चाहिए|