![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjjDbvF5HzAIe8Vcxfv93LeH27Cv68w13X70WXg3x29iNru3dF2LHl_jxt2C0FGRqZoG01NZ_a8FAc5uGmCWM_hGK5VoyWaOMQ5L0e0wgum4vrgeHcUI_t1J0QAIhQodeetCmTxMOGHbkZ45VeHS9IxWdBd_WzkdffDhyphenhyphennNId1wiuEAT6-d91NK1f1TP6c/s320/Yoga%20Day.jpeg)
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दिल्ली में सबसे नयी पार्टी की सरकार सचमुच जल्दी में है क्योंकि उसे आशंका है कि विधान सभा चुनाव निर्धारित कार्यकाल की समाप्ति से पहले कराये जा सकते हैं। स्थानीय सरकार अगले चुनाव में फायदा प्राप्त करने के लिये अपने ज्यादा से ज्यादा लोकलुभावन वायदे पूरा करने की कोशिश में लगी है। उसकी प्राथमिकताओं में मेट्रो और डीटीसी बसों में महिलाओं को फ्री यात्रा की शुरुआत करना शामिल है। चुनाव से पहले सभी सत्तारूढ़ पार्टियां ऐसे प्रयास करती हैं। दिल्ली की सरकार अपनी इच्छा शक्ति का प्रमाण देने के लिये सबसे पहले अपनी डीटीसी बसों में महिलाओं को यह तोहफा देने की तैयारी में जुट गयी है। देखा जाये तो डीटीसी की वित्तीय हालत और बसों की स्थिति बदतर है मगर सरकार को तो कुछ ऐसा करके दिखाना है कि वह जो कहती है वही करके भी दिखाती है। ऐसा करने के लिये सरकार में नंबर दो के वजीर खुद बसों और मेट्रो में जा कर महिलाओं का समर्थन जुटा रहे हैं, सरकार के सर्वे के परिणाम में 90 फीसद महिलाओं का फ्री राइड के प्रति समर्थन का दावा किया जा रहा है। इसके अलावा बसों के बाहर विज्ञापन लगा कर मुफ्त यात्रा का प्रचार किया जा रहा है। फ्री सफर कहीं महिला यात्रियों के लिये अंग्रेजी का सफर यानि कष्ट नहीं बन जाये सरकार को ध्यान रखना होगा। जहां तक डीटीसी का घाटा बढ़ने की आशंका है शायद दिल्ली सरकार को ऐसी चिंता नहीं सताती। जहां तक मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा देने का सवाल है दिल्ली सरकार की तरह मेट्रो भी इसमें अपना लाभ देख रही है। अंतर बस इतना है कि दिल्ली सरकार राजनीतिक लाभ लेने और मेट्रो वित्तीय लाभ प्राप्त करने की आकांक्षी है। मेट्रो में सुविधा देने के लिये प्रक्रियाओं के मक्कड़ जाल को पार करने में कई महीने लग सकते हैं क्योंकि निर्णय लेने के लिये दिल्ली सरकार, केन्द्र के शहरी विकास मंत्रालय, और अन्य एजेंसियों की सहमति जरूरी होगी। नयी पार्टी की सरकार यह सुविधा दिल्ली से बाहर एनसीआर क्षेत्र की महिलाओं को भी प्रदान करना चाहती है, जब दान देना है तो सभी को दिया जाना चाहिये ताकि थोक में पुण्य कमाया जा सके। ऐसा हो जाने से इस पार्टी को एनसीआर के शहरों, कस्बों और गांवों में अपनी जड़ें जमाने का सुनहरा मौका मिल सकेगा। सभी महिलाओं को यह सुविधा देने के गुण दोष पर विचार बाद में किया जा सकता है मगर अभी तो प्राथमिकता यह है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम कैसे आगे बढ़े और पार्टी की भी बल्ले बल्ले हो जाये। देखते है कि भविष्य की कोख में क्या छिपा है।