एक बार फिर मोदी सरकार
देखते ही देखते 2014 से 2019 आ गया और पांच साल की मेहनत और जनता के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना के चलते ही भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई। अगर मैं यह कहूँ कि भारतीय जनता पार्टी की इस जीत का पूरा श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह हैं हमारे देश के लगातार दूसरी बार बने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी। 

 

प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालते हुए भी श्री मोदी ने भारतीय जनता पार्टी को जो मजबूती दी है उसी का नतीजा है कि पार्टी पूर्ण बहुमत से विजयी हुई। जहां पूरा विपक्ष एक हो गया था, क्योंकि उनका एक ही मकसद था कि किसी तरह  भी मोदी को हटाना है। लेकिन अफसोस, विपक्ष का गठबंधन भी मोदी और जनता के बंधन को तोड़ नहीं सका। युवाओं में मोदी के प्रति जो विश्वास देखने को मिला वह शायद ही पहले किसी अन्य नेता के प्रति दिखा हो। यहां तक कि कांग्रेस के युवा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, अखिलेश यादव व अन्य कई युवा नेता भी भारतीय युवाओं का विश्वास नहीं जीत पाए। 

 

कुछ तो है हमारे इस मोदी में जो जनता के दिलों में इस कदर अपनी जगह बनाए हुए हैं कि अन्य पार्टियां उसे झकझौर कर हिलाने के बाद भी न हिला सकीं। 

 

मोदी तो मोदी हैं। उनके लिए कुछ असंभव या मुश्किल नहीं। उनके  जो शीर्ष नेता हैं वो भी नहीं जान पाते कि मोदी के मन में क्या चल रहा है। चुनाव में पूर्ण बहुमत से जीतने के बाद मोदी जी ने अपने पहले भाषण में जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 'मैं इस देश की जनता का बहुत आभारी हूँ जिसने फकीर की झोली भर दी।' 

 

देखा जाए तो वास्तव में वे एक फकीर ही हैं। उनका मिशन देश और केवल देश है और  देश में रहने वाली जनता है ,उसकी गरीबी उनके दिमाग में है। उन्होंने अपने भाषण में एक और बात कही कि अब जात-पात का खेल खत्म हो गया। अन्य पार्टियाँ आज तक इसी पर चुनाव लड़ती थीं  वह बात  इन चुनावों में समाप्त हो गई। उनके विचार से देश में अब केवल दो ही जातियाँ बची हैं- एक गरीब और दूसरी अमीर। और इन दोनों के बीच में बैलेंस बनाते हुए कैसे इस गरीब जनता को ऊपर लाना है यही मोदी का  मिशन है। जब देश की बात आती है तो मोदी किसी भी हद तक चले जाते हैं ।इस बात का जीता-जागता उदारण है पुलवामा काण्ड। पूरे देश ने देखा है कि आज तक कोई भी सरकार इन आतंकियों का कुछ भी नहीं  बिगाड़ पाई और पिछले कई दशक से देश के वीर जवान यूँ ही मारे जाते  रहे लेकिन हमारे देश का प्रधानमंत्री जो इस पीड़ा को कब से  झेल रहा था और सही समय आने पर ईंट का जवाब पत्थर से देने को तैयार था ।अन्ततोगत्वा देश की जनता ने देखा कि किस तरह से आतंकियों के अडडे पर पाकिस्तान के भीतर जाकर भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक के द्वारा उन आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया ।सारी दुनिया में एक संदेश गया कि मोदी है तो मुमकिन है।

 

देश की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा के प्रति मोदी जी  सदेव हर क्षण हर पल सजग रहते हैं। देश व भारतीय जनमानुष को संसद के दोनों ही पक्षों की जरूरत होती है ताकि कोई भी पार्टी देश हित से भ्रमित न हो और अगर ऐसा होता है तो विपक्ष उन्हें रोके लेकिन विपक्ष को समझदार होना चाहिये उन्हें देश हित में लिए जाने वाले फैसलों पर बिना किसी रोकटोक के सहमति दे देनी चाहिए बजाए ऊलजुलूल बातें, झूठे आरोप, मनघड़ंत बातों से  संसद का समय नष्ट करने के और देश हित के लिए होने वाले फैसले एक सत्र से दूसरे सत्र तक फाइलों में बंद करवाने के ।

 

यहां मैं कांग्रेस और अन्य पार्टियों से भी कहना चाहूंगा कि अब भारतीय जनता पहले वाली जनता नहीं रही जिसे कोई भी पार्टी जात-पात, धर्म और अन्य लोभ के चलते खरीद ले। आज की जनता केवल और केवल काम देखती है। ऐसा नहीं है कि किसी एक के जीत जाने से बाकी पार्टियां खत्म हो चुकी हैं। उन्हें केवल अपनी हार का विश्लेषण करना होगा और आगे से जनता के हित का सबसे पहले ध्यान रखना होगा। 

 

चुनावों के परिणामों के बाद कांग्रेस पार्टी के संसद में कम उम्मीदवारों की संख्या होने पर  प्रत्येक बुद्धिमान को दुख होगा कि विपक्ष बहुत कमजोर हो गया है और अभी हाल ही में न्यूज के माध्यम से जानकारी भी मिली कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी इस हार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। हालाँकि अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है ।अब देखना यह है कि यह वाकई राहुल गांधी द्वारा उठाया गया एक बेहतरीन कदम है या फिर केवल एक नाटक। क्योंकि कांग्रेस पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण यही है कि यह पार्टी केवल गाँधी परिवार के तीन सदस्यों तक ही सिमट कर रह गई है- श्री राहुल गांधी, श्रीमति सोनिया गांधी और अब प्रियंका गांधी। इसके अतिरिक्त कोई भी कांग्रेसी, कांग्रेस के बारे में सोचता ही नहीं है। ऐसा नही हैं कि कांग्रेस पार्टी में कोई अच्छा नेता नहीं है बल्कि कांग्रेस में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं जो पार्टी को एक नई दिशा दे सकते हैं और पार्टी की कमान संभालने की काबलियत रखते हैं लेकिन वह तभी संभव है जब यह परिवारवाद की राजनीति खत्म हो और देशहित की राजनीति के बारे में सोचा जाए। 

 

यहां मैं स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा सदन में कही गई बात को दोहराना चाहूंगा कि सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगडेंगी मगर यह देश रहना चाहिए और इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए। 

यह बहुत गहरी बात है जो सभी पार्टियों को यही संदेश देती है कि सत्ता की लड़ाई लोकतंत्र समाप्त करने की लड़ाई नहीं बननी चाहिए। विपक्ष को एक मजबूत विपक्ष बनाना चाहिए ताकि सदन में अच्छे सुझाव आएं और सभी एक लय में देश हित की बात करें। 

 

अंत में मोदी सरकार को भी यही कहना चाहूंगा कि देश ने आपके उपर जो विश्वास दिखाया है उसे बनाए रखें और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें।

 

 

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