बड़ी उम्मीद

हमारे मित्र पदमश्री अशोक चक्रधर की कविता है---जंगल में शेर ने बकरी और भेड़ को देखा, वे दोनों कांपने लगे , मगर शेर उन्हें बिना कोई नुकसान पहुचाये चुपके से वहां से निकल गया। भेड़ ने कहाकि जंगल में चुनाव आने वाले हैं। दिल्ली में अब एक और चुनाव दस्तक दे रहा है। दिल्ली विधान सभा चुनाव राजधानी के तीनों दलों के लिये अहम है। सबसे पुरानी पार्टी को अपनी खोई जमीन फिर हासिल करनी है, भगवा दल को दो दशक से अधिक समय का बनवास खत्म करना है तो नयी पार्टी को लगातार मिली हार के बाद दिल्ली में दोबारा सत्तारुढ हो कर साबित करना है कि अभी उसकी जड़ें गहरी हैं। नयी पार्टी ने मतदाताओं को उम्मीदों का उपहार देना शुरु कर दिया है पिछले विधानसभा चुनाव में  मुफ्त पानी और रियायती बिजली के वायदे ने दोनों दलों को बुरी तरह धूल चटाई थी। नयी पार्टी ने वायदा  निभाया था।  इसी तरह अब मेट्रो और डीटीसी बसों में औरतों के लिये बिल्कुल फ्री यात्रा का वायदा अगर लोगों को पसंद आया तो चमत्कार दिखा देगा। यह तो स्पष्ट है कि उन खोखले वायदों पर भी विश्वास किया जाता है जो राज्य या केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टियां करती हैं।  दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों के 45 लाख लोगों की थाली में कॉलोनियां पक्की करने के मालपुऐ कई बार परोसे गये हैं। सबसे पुरानी पार्टी ने अपनी नियत का सुबूत देने के लिये एक बार तो अपनी अध्यक्षा के करकमलों से प्रोविजिनल सर्टिफिकेट दिलवा दिये थे। दिल्ली में किसी ने उनकी नीयत में खोट का आरोप नहीं लगाया। दिल्ली वाले अपनी तरह सभी पार्टियों को भी नेक समझते हैं।  इसबार भगवा दल ने कमसे कम यह तो साबित कर दिया  कि वह इस मुद्दे पर गंभीर है और इस पर ईमानदारी से काम कर रहा है। कालोनियां रेगुलर करने के मुद्दे पर देश की बड़ी सरकार ने एलजी साहिब की सदारत में एक समिति बनायी थी जिसने 90 दिन के तय समय में रिपोर्ट बड़ी सरकार के वजीर पुरी साहिब को सौंप दी अब वही नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे 45 लाख लोगों की ख्वाहिशें पूरी करेंगे। रिपोर्ट में बहुत कुछ खास है, मिठास है और लबालब विश्वास है, 1800 के करीब कच्ची कॉलोनियों को पास करने के लिये जमीन के नाम पर सर्किल रेट की  महज एक या दो फीसद रकम देना बहुत सुखकर आभास है। अगर ये हो जाये तो इन लोगों के सिर पर लटकी तलवार का भय खत्म हो जायेगा  और 1977 के बाद इंदिराजी द्वारा पास की गयी 475 कालोंनियों के बाद केन्द्र की सरकार पहली रेखा मिटाये बिना एक बड़ी लकीर खींच देगी। उम्मीद पर दुनिया कायम है।


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