मोदी के राज्याभिषेक से नये भारत का स्वर्णिम सूर्योदय 

आसमान छूने के लिए न थकेगें, न रुकेगें, न झुकेगें


मोदी जी ने सार्वजनिक रुप से सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास के साथ गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया। माननीय मोदी जी ने अपना हर पल और शरीर का हर कण राष्ट्र के विकास के लिए समर्पित किया। सभी सांसद जब मोदी जी की तरह ही अपने समय का हर पल और शरीर का हर कण राष्ट्र को समर्पित करेगें तो आसमान छू लेना मुमकिन होगा। मोदी जी है तो मुमकिन है, मंजिल तो मिलेगी ही।
मोदी मय नागरिक जो “मोदी ही मोदी” करते रहे, “नमो अगेन” करते रहे, “फिर एक बार मोदी सरकार” बोलते रहे उन्हें भी मोदी जी और उनके सांसदों की समर्पणा ही नहीं देखनी है, उन्हें स्वयं एवं सबकों भी गरीबी की लड़ाई में हर पल और हर क्षण तथा शरीर का हर कण मोदी जी की ही तरह समर्पित करना होगा। बिना सैनिकों के साहस और नागरिकों के समर्थन के कोई भी सेनापति कितना ही बड़ा योद्धा हो कोई भी लड़ाई नहीं जीत सकता हैं। लोकतन्त्र में गरीबी का कोई स्थान नहीं है। गरीबों को स्वयं ही सश्रम, सुबुद्धि के साथ लड़ाई लड़नी होगी। जनसंख्या नियन्त्रण और अच्छी से अच्छी शिक्षा, ऊंची से ऊंची तकनीक की
जानकारी द्वारा गरीब अपने परिवार तथा आगे आने वाली पीढ़ी के लिए गरीबी हटाने का रास्ता स्वयं तय कर सकता है। सरकार और प्रशासन लोकतन्त्र सुधार, चुनाव सुधार, प्रशासन सुधार, पुलिस सुधार, न्याय व्यवस्था में सुधार, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में
सुधार, सामाजिक सुधार, वित्त सुधार एवं प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यक सुधार को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी तथा मानसिक दृष्टिकोंण में बदलाव लाना होगा। शीघ्रता से मोदी सरकार को बदलती वैश्विक परिस्थितियों के मध्ये नजर विकास की नई रणनीति बनानी होगी। आर्थिक सुधारों को अब एक नये सोच और नई धारा की आवश्यकता हैं।
कांग्रेस ने एक महीने का मौन व्रत सभी कांग्रेस जनों के लिए रखने का सुंदर निश्चय किया है। मौन व्रत से अग्रिम पंक्ति के कांग्रेस नेता गणों में नयी सोच की ऊपज सम्भव हैं। कांग्रेस का बचाना है और मजबूत करना है तो सोनिया जी जिस तरह त्याग करते हुए मनमोहन सिंह जी को प्रधानमंत्री बनाया था, उसी तरह त्याग के रास्ते चलते सोनिया जी नेहरु/गाँधी परिवार अब कांग्रेस से मुक्त होकर और राजनीति से संन्यास ले। यही कांग्रेस के लिए आत्म रक्षा होगी। विकल्प के तौर पर कांग्रेस के बड़े नेताओं को देखना है और हिम्मत कर जिस तरह इंदिरा गाँधी ने संगठन कांग्रेस को किनारे लगा कर इंदिरा कांग्रेस का नया वजूद तैयार कर दिया था, उसी तरह सोचना होगा। इसी दिशा में कांग्रेस के दिग्गज नेता हिम्मत करें तो वो क्या खोयेगें? सोचे! सक्षम विपक्ष लोकतन्त्र को सन्तुलित रखने के लिए उतना ही आवश्यक है जितना सरकार चलाने के लिए बहुमत। जो भी हो आसमान तो छूना ही है।


- रिखब चन्द जैन, संगठन प्रमुख - भारतीय मतदाता संगठन


 


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