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दिल्ली में 12 मई को मतदान से दो तीन दिन पहले कुछ ऐसे घटनाक्रम हुये जिनकी कोई उम्मीद नहीं थी। इनका चुनाव परिणाम पर कुछ असर होगा या नहीं , अभी कहा नहीं जा सकता मगर ऐसे घटनाक्रम को हलके में नहीं लिया जा सकता। इनसे दिल्ली की तीनों पार्टियों के लिये असहज स्थिति बनी और एक दूसरे पर छींटाकशी करने की जरूरत भी महसूस की गयी। एक पर्चे ने दिल्ली की सबसे नयी पार्टी और भगवा दल दोनों की नींद छूमंतर कर दी। नयी पार्टी की प्रत्याशी के बारे में कथित पर्चे को कथित रूप से वितरित करने से पूरी पार्टी में परेशानी हुई। उधर भगवा दल के प्रत्याशी पर पर्चा भेजने के संदेह में जम कर उनकी आलोचना की गयी। कुछ भी हो एक महिला पर भद्दी से भद्दी अश्लील बातें लिखना सभ्य समाज पर जोरदार तमाचा है। क्रिकेट खिलाड़ी ने ऐसी बल्लेबाजी करने से न केवल इंकार किया अपितु चुनाव बीच में छोड़ने और आरोप साबित होने पर सार्वजनिक रूप से फांसी पर चढ़ जाने का दावा किया। आखिर पुलिस शिकायत और मानहानि के मामले बने। नयी पार्टी के एक प्रत्याशी के पुत्र का अपने पिता पर 6 करोड़ रुपये में पार्टी के मुखिया से कथित रूप से टिकट खरीदने का किया गया दावा टीवी चैनलों पर छाया रहा मगर संबंधित पार्टी की कोई टिप्पणी नहीं आने से सजग समाज को हैरानी हुयी। इसके अलावा मतदाताओं को फोन पर यह बताया गया कि इस चुनाव के लिये किये गये सर्वे में नयी पार्टी का सबसे अधिक, भगवा दल का इससे कम और देश की सबसे पुरानी पार्टी का सबसे कम वोट प्रतिशत रहेगा। इस पर भगवा दल और सबसे पुरानी पार्टी में आक्रोश होना स्वाभाविक था, और यही हुआ। अगर सही विश्लेषण किया जाये तो प्रचार समाप्त होने और मतदान से पहले ऐसा सर्वे मतदाताओं को प्रभावित करने के मकसद से कराया गया होगा। यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बनता था मगर प्रभावित दलों ने ऐसी टिप्पणी नहीं की। इसी तरह पुरानी पार्टी के एक पूर्व मंत्री को दलबदल के जरिये भगवा दल में शामिल कराने का मामला भी चर्चा में रहा। परिणाम बतायेंगे कि इनका कितना असर हुआ।