बड़े ही धूमधाम से मनाई गई परशुराम जयंती।


अधिवक्ता संघ सभागार में ब्राह्मण एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश पांडेय के नेतृत्व में ब्राह्मण एकता परिषद के तत्वाधान में  परशुराम जयंती जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष अमिताभ त्रिपाठी की अध्यक्षता में अधिवक्ताओं ने बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया कार्यक्रम का संचालन के डी पाठक द्वारा किया गया।ब्राह्मण एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश पांडेय ने कहा कि परशुरामजी का उल्लेख रामायण महाभारत भागवत पुराण और कल्कि पुराण इत्यादि अनेक ग्रन्थों में किया गया है। वे अहंकारी और धृष्ट हैह्य वंशी क्षत्रियों का पृथ्वी से 21 बार संहार करने के लिए प्रसिद्ध हैं। वे धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे। कहा जाता है कि भारत के अधिकांश ग्राम उन्हीं के द्वारा बसाये गये। जिस मे कोंकण गोवा एवं केरल का समावेश है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम ने तीर चला कर गुजरात से लेकर केरला तक समुद्र को पिछे धकेलते हुए नई भूमि का निर्माण किया और इसी कारण कोंकण गोवा और केरला मे भगवान परशुराम वंदनीय है तथा तीर के तेज से उत्पन्न ब्राह्मण कॊ ब्रह्मर्षि ब्राह्मण भी कहते है जिसमे बिहार के योद्धा भूमिहार ब्राह्मण महाराष्ट्र के चित्तपावन पंजाब के मोहयाल अपनी उत्तपति भगवान परशुराम से मानते है । वे भार्गव गोत्र की सबसे आज्ञाकारी सन्तानों में से एक थे जो सदैव अपने गुरुजनों और माता पिता की आज्ञा का पालन करते थे। वे सदा बड़ों का सम्मान करते थे और कभी भी उनकी अवहेलना नहीं करते थे। उनका भाव इस जीव सृष्टि को इसके प्राकृतिक सौंदर्य सहित जीवन्त बनाये रखना था। अधिवक्ता कीर्ति निधि पांडेय ने कहा कि परशुराम जी  सारी सृष्टि पशु पक्षियों वृक्षों फल फूल और समूची प्रकृति के लिए जीवन्त रहे। उनका कहना था कि राजा का धर्म वैदिक जीवन का प्रसार करना है, वे एक ब्राह्मण के रूप में जन्में अवश्य थे लेकिन कर्म से एक क्षत्रिय थे। उन्हें भार्गव के नाम से भी जाना जाता है।यह भी ज्ञात है कि परशुराम ने अधिकांश विद्याएँ अपनी बाल्यावस्था में ही अपनी माता की शिक्षाओं से सीख ली थीँ (वह शिक्षा जो 8 वर्ष से कम आयु वाले बालको को दी जाती है)। वे पशु-पक्षियों तक की भाषा समझते थे और उनसे बात कर सकते थे। यहाँ तक कि कई खूँख्वार  पशु भी उनके स्पर्श मात्र से ही उनके मित्र बन जाते थे।उन्होंने सैन्यशिक्षा केवल ब्राह्मणों को ही दी लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं जैसे भीष्म और कर्ण उनके जाने-माने शिष्य थे। इस अवसर पर प्रमुख रूप से कीर्ति निधि पांडेय रमाशंकर राम त्रिपाठी बटेश्वर नाथ त्रिपाठी अजय पाठक लल्ला त्रिपाठी अजय पांडेय रजनीकांत मिश्रा वेद प्रकाश दुबे अरविंद मोहन पांडेय गजेंद्र त्रिपाठी  विकास कक्कू राजेश शुक्ला रत्नेश शुक्ला योगेंद्र मिश्रा रामेश्वर दुबे राम त्रिपाठी धीरेंद्र त्रिपाठी इंद्र भूषण पांडेय आदि अधिवक्ता मौजूद थे।चौरी चौरा संवाददाता से प्राप्त खबर के अनुसार कल्याण पाण्डेय के नेतृत्व में पंडितपुरा में भी बड़ी धूमधाम से परशुराम जयंती मनाई गई जिसमें रविकांत तिवारी को ब्राह्रण सभा का अध्यक्ष नामित किया गया ।इस अवसर पर अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।


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