उत्तर प्रदेश के कोल आदिवासी समाज का 2019 चुनाव बहिष्कार
- जनजाति आरक्षण लाभ के अंतर्गत i)- शिक्षा, ii)- नौकरी, iii)- ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक मिलने वाला राजनीतिक आरक्षण जनजाति न होने से बाधित रहा ! परिणाम स्वरूप आदिवासी कोल समाज के बच्चों का बचपन, युवाओं का भविष्य, और आदिवासी कोल समाज राजनैतिक पिछड़ेपन का शिकार हुआ ! इस प्रकार शिक्षा, रोजगार और सामाजिक/राजनीतिक प्रतिष्ठा से वंचित आदिवासी कोल समाज उत्तर प्रदेश में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है !
- जनजाति न होने के कारण दूसरे प्रदेश में निवास करने वाला कोल आदिवासी जनजातीय समाज उत्तर प्रदेश के कोल आदिवासी समाज में शादी-सम्बंध करने में परहेज करने लगे हैं जिससे हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान समाप्त हो रही है !
आदिवासी भाई बहनों, कोल आदिवासी समाज इस देश का आदिम निवासी होते हुए भी आज जिसे संयुक्त राष्ट्रसंघ भी आदिवासी मानता है लेकिन हमारे आदिवासी कोल समाज की राजनीतिक जागरुकता न होने के कारण देश-प्रदेश में राज करने वाले राजनैतिक दलों ने राजनीतिक षड्यंत्र के तहत हमें संविधान में मिले जनजाति अधिकार (ST), वनाधिकार कानून जैसे मौलिक और संवैधानिक अधिकारों से दूर किया गया ! जिसमें सभी राजनैतिक दलों की आंतरिक सांठगांठ रही है ! हमें आजादी के बाद से आज 62 सालों तक (10 वर्ष 80 के दशक को छोड़ कर जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दिया गया था) हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा गया ! और निकट भविष्य में भी कोई आशा की किरण नहीं दिख रही है ! 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने आदिवासी कोल समाज को जनजाति अधिकार देने की बात नहीं किया ! अभी 13 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत देश के आदिवासियों को जंगल-पहाड़ों से बेदखल करने का जो फरमान निकला है उस पर भी कोई राजनीतिक दल बात नहीं कर रहे हैं ! इन सभी परिस्थितियों में आदिवासी कोल समाज के पास चुनाव बहिष्कार करने के अतिरिक्त दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है ! इस चुनाव बहिष्कार का एकमात्र उद्देश्य शासन-प्रशासन को आदिवासी कोल समाज की समस्या से अवगत कराना है और इस निर्णय के लिए स्थापित सभी राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं जिन्होंने आदिवासी कोल समाज को उत्तर प्रदेश में जनजाति अधिकार (ST) से वंचित रखा !
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