![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjjDbvF5HzAIe8Vcxfv93LeH27Cv68w13X70WXg3x29iNru3dF2LHl_jxt2C0FGRqZoG01NZ_a8FAc5uGmCWM_hGK5VoyWaOMQ5L0e0wgum4vrgeHcUI_t1J0QAIhQodeetCmTxMOGHbkZ45VeHS9IxWdBd_WzkdffDhyphenhyphennNId1wiuEAT6-d91NK1f1TP6c/s320/Yoga%20Day.jpeg)
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देश की राजधानी दिल्ली में हर रोज एक नेताजी जगह जगह ढोल बजाते दिखायी देते हैं। यह सत्य है कि ढोल संस्कृति का, खुशियों का अभिन्न अंग है, अभिव्यक्ति के प्रचार प्रसार में साधक है और कभी कभी किसी की कुर्की के समय संबंधित आदमी के दिल पर गोली से भी तेज विस्फोट करता है। इन दिनों दिल्ली में एक सीनियर नेताजी प्रति दिन ढोल बजाते निकलते हैं और कहते हैं कि वह दिल्ली और जनता के हित में सच्ची बात करते हैं। नेताजी वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री हैं लेकिन वह जबसे राजनीति या फिर दिल्ली विश्वविद्यालय की सियासत में आये हैं तभी से उनका अंदाज निराला रहा है। अपने निराले अंदाज के कारण वह दिल्ली की जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। वह अपनी पार्टी के प्रति समर्पित हैं और इसके प्रसार प्रचार करने के लिये कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। काफी लोगों का मानना है कि ढोल बजा कर दिल्ली की वर्तमान सरकार को ढोल की पोल खोलने में वह अपनी महारत दिखा कर लोगों को अपनी विचारधारा की ओर आकर्षित करने में कामयाब दिखायी दे रहे हैं। दिल्ली में सैंकड़ों सक्रिय राजनेता होंगे मगर कितने इस तरह अपने गले में डाला ढोल बजाते हुये निकल सकते हैं। लोग भले ही उन्हें कुछ भी कहें मगर वे अपने नेता और पार्टी के लिये सर्वस्व न्योछावर करने में संकोच नहीं करते। उनका जो निष्ठा और सम्मान अटलजी के लिये था वैसा ही देश के वर्तमान पी एम के लिये भी है। नेताजी के बंगले के बाहर एक स्थाई होर्डिंग लगा हैं जहां हर रोज नया प्रासंगिक संदेश लिखा दिखायी देता है जिसमें कविता और तस्वीरों या चित्रकला का रोचक, पाचक, साधक मिश्रण होता है। राजनीति में वर्करों की सेना खड़ी करना उनके लिये बांये हाथ का खेल है। मगर वह ढोल बजाने की भूमिका में मस्त और व्यस्त रह रहे हैं। लोकसभा के पहले तीन चुनावों में उन्होंने कदावर नेताओं को धूल चटा दी थी। किसी राजनेता में किस्म किस्म की 36 कुव्वत नहीं हो सकती जितनी ढोल वाले नेताजी में हैं। खो खो चैंपियन, तबला वादन में धुरंधर, भजन गायक, पुस्तक लेखक, छायाकार, हेरिटेज शख्सियत, समाज सुधारक, किसी भी प्रासंगिक मुद्दे पर रन आयोजक, समाचार पत्रों के लिये नियमित लिखने वाले और न जाने कितनी खूबियां हैं ढोल वाले नेताजी में। वह अगर विपरीत धारा में चलते हैं तब भी सबसे आगे निकलने की हिम्मत रखते हैं। नेताजी ने दिल्ली और अन्य कई राज्यों को लॉटरी से मुक्त कर दिया और इस तरह हजारों परिवारों को तबाह होने से बचा लिया। दिल्ली में कई लोग या तो उनकी लोकप्रियता से घबराते हैं या उनसे ईर्ष्या करते हैं लेकिन नेताजी को जो करना है वह करके रहते हैं। ढोलवाले की अपनी मौज है तो उनके शुभचिंतकों की फौज भी है।