मिथिला विश्व विद्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना: पाठक


मिथिलांचल के नेता एवं प्रसिद्ध समाज से वी अरविन्द पाठक ने  बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय के कुलपति को तत्काल बर्खास्त कर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि विश्व विद्यालय की  दयनीय दशा, पठन पाठन में भारी गिरावट एवं विश्व विद्यालय प्रसाशन  की लाल फीता शाही को तत्काल रोका जा सके।
श्री पाठक की अगुवाई में एवं  प्रबुद्ध जनों की ओर से महामहिम  राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद एवं राज्य के राज्यपाल श्री लाल जी टंडन  से पहले ही इस सम्बन्ध में  हस्तक्षेप की मांग की जा चुकी है।क्षेत्रीय सांसद एवं पूर्व क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद ने इस विश्व विद्यालय को कुख्यात करार दिया है ,जबकि राज्य में सत्ता रूढ़ जनता दल यूनाइटेड शिक्षक प्रकोष्ठ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ राम मोहन झा ने विश्व विद्यालय को भ्रष्टाचार एवं दलालों का अड्डा बताया है। वहीँ बिहार राज्य विश्व विद्यालय एवं महा विद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष श्री गंगा प्रसाद झा ने विश्व विद्यालय प्रसाशन की लाल फीता शाही के खिलाफ बंद करने की चेतावनी दी है। अन्य कई राजनितिक एवं सामाजिक संगठनों ने कुलपति के खिलाफ आवाज उठाई है।
  डॉ पाठक ने कहा कि मिथिला विश्व विद्यालय की दयनीय हालत को देखकर शीघ्र सेंट्रल जांच टीम भेजने की मांग की गयी है।
उन्होंने कहा कि समय  रहते अगर इस दिशा में पहल नही किया गया तो विश्व विद्यालय की दुर्दशा पराकाष्ठा पर पहुँच जायेगी और इसमें सुधार लाना मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इतनी गड़बड़ी एक खास जगह से आयातित कुलपतियों की वजह से राज्य में हो रहा है ।उन्होंने कहा कि अर्से बाद मिथिला विश्व विद्यालय में यह स्तिथि उत्पन हुई है ।
श्री पाठक ने कहा कि चोर दरवाजे से नियुक्ति कर करोड़ो रुपए उगाही की कोशिश की जा रही है जबकि अनुकंपा पाल्यों की पिछले पांच वर्षों से नियुक्ति को अधर में लटका कर रखा गया है जो करो या मरो की स्तिथि में आंदोलन रत है।
उन्होंने कहा है कि यह विश्व विद्यालय अपने अतीत को खो चुका है। यहाँ पठन-पाठन का माहौल समाप्त है ।चोर दरवाजे से प्रसाशनिक पदों पर ऐसे व्यक्तियों को बैठाया गया है । 
उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालय के अधीन कई नामचीन कॉलेज एवं छात्रावास खंडहर में तब्दील हो चुका है ।इन कॉलेजों में पढाई की समुचित व्यवस्था है या नहीं विश्व विद्यालय प्रसाशन को इसकी कोई परवाह नहीं है।


अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन रत मृतक के पाल्यों की मांग को सांसद आजाद, जदयू नेता डॉ झा एवं कर्मचारी महासंघ के नेता श्री  झा ने पाल्यों की शीघ्र नियुक्ति किये  जाने की मांग की है।


कर्मचारी महासंघ के नेता श्री झा ने कहा कि इस सम्बंध में कुलपति कार्यालय कक्ष में दिनांक-29 एवं 30 मई को वार्ता हुई थी और यह तय हुआ था कि अनुकंपा पर नियुक्ति हेतु 20 जून को बैठक आयोजित कर नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। यह भी तय हुआ था कि सृजित रिक्त पद पर योग्यताधारी कर्मचारियों को प्रोन्नति दिया जाएगा, अंगीभूत महाविद्यालय के कर्मचारी को वेतन बिंदु एवं बकाये की विवरणी उपलब्ध करा दिया जाएगा। जिसका अनुपालन आजतक नहीं किया गया है।
श्री झा ने अनुकंपा समिति से अनुरोध किया है कि वैसा निर्णय न करें जिसका अनुपालन संभव न हो क्योंकि अनुकंपा समिति को कर्मचारी/ पदाधिकारी/ शिक्षक जिनका सेवाकाल में मृत्यु हुई है उन्हीं के वैध पाल्यों की नियुक्ति करनी है।इस संबंध में महासंघ के साथ राज्य सरकार से हुए समझौता के आलोक में सरकार के सचिव के. सी. साहा के हस्ताक्षर से पत्रांक 1326 दिनांक-21/08/1995 निर्गत है जिसके बिंदु -3 में निर्देश है कि आवेदन देने की कोई समय सीमा नही होगी। पत्र के 7 वें बिंदु पर स्पष्ट लिखा हुआ है कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में अगर रिक्ति आरक्षित बिंदु पर हो तो आरक्षित बिंदु को अग्रणीत करते हुए आवेदक को नियुक्त कर लिया जाएगा। पत्र के 9 वें बिंदु की कंडिका घ में स्पष्ट निर्देश है कि नियुक्ति हेतु जो नियम /उपबन्ध इस पत्र में निर्धारित किये गए हैं उसको शिथिल अथवा उसके संबंध में कोई स्पस्टीकरण करने का अधिकार विश्वविद्यालय को नहीं होगा। इन तमाम स्पष्ट निर्देशों  के वाबजूद कुलपति समिति एवं सिंडिकेट से अनावश्यक निर्णय ले रहे हैं जो लोकतान्त्रिक सत्ता को कि चुनौती है।


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