सिग्नेचर पर अव्यवस्था

दिल्ली की नई शानदार,जानदार पहचान सिग्नेचर ब्रिज के खुलने पर उल्लास और सुख का आभास था मगर महज आठ दिन में यहां फैली अव्यवस्था से दिल्लीवासियों में बड़ी चिंता उभर कर सामने आई है। यह सत्य है कि इसे टूरिस्ट सेंटर के रूप में भी प्रचारित किया गया था मगर इसका मूल उद्देश्य यातायात के जाम से मुक्ति दिला कर राजधानी के एक महत्वपूर्ण भाग को तीव्र गति के यातायात का माध्यम बनाना था। इससे यह  सुनिश्चित करना था कि यातायात के समय में कमी आये और बेशकीमती ईंधन की बचत हो। सही मायने में यह टूरिस्ट सेंटर तब बनता जब सिग्नेचर ब्रिज की दर्शक दीर्घा तैयार कर इसे पर्यटकों के लिये खोल दिया जाता। इसे खोलने में तो अभी कुछ महीने लगेंगे और जब इसे खोला जायेगा तो पर्यटक लिफ्ट से दर्शक दीर्घा के सबसे ऊंचे स्थान से दिल्ली का विहंगम दृश्य देख सकेंगे। अभी जो कुछ सिग्नेचर ब्रिज पर हो रहा है उसे अव्यवस्था ही कहा जा सकता है। अगर ऐसा एक महीना और जारी रहा तो यहां का नजारा बिल्कुल वैसा दिखेगा जैसा ईस्ट दिल्ली में सफाई कर्मचारियों की लंबी चली हड़ताल के दौरान दिखा करता था। इन दिनों सिग्नेचर ब्रिज पर पहुंचते ही लोगों को या तो सैल्फी का भूत सवार हो रहा है या फिर हुड़दंग मचा कर खुद को हिम्मतवाला दिखाने की होड़ शुरू हो जाती है।  वहां पहुंच कर लोगों में बिल्कुल वैसा जुनून आ जाता है जैसा कोई बिना  हेलमेट पहने बाइकर पिछली सीट पर बैठी लड़की को अपनी मर्दानगी दिखाने के लिये फास्ट और मस्त ड्राइविंग करता है और ऐसा करते हुये जान की परवाह नहीं करता। सिग्नेचर ब्रिज पर मौज मस्ती करने वाले दर्शक भी इसी तरह के जुनून में सने मिलते है और रेलिंग पर चढ़ कर सैल्फी लेते हुये अपनी जान की परवाह नहीं करते। सैल्फी ले रहे एक व्यक्ति की तो इसी शौक में जान निकल गयी मगर किसी ने इस घटना से सबक नहीं लिया। सैल्फी लेने वालों का कारवां रुकता ही नहीं। लोगों को उलटी दिशा में वाहन चलाने में मजा आ रहा है। सिग्नेचर ब्रिज पर भीड़ क्या होने लगी फेरी वाले और चाट, कचौड़ी बेचने वाले सभी अपनी कमाई बढ़ाने, धंधा चमकाने के लिये वहां जमा हो गये। ये जमावड़ा हटेगा तो यातायात फर्राटे मारते दौड़ेगा वरना इस सैल्फी स्थल को सुसाइड स्थल बनने में देर नहीं लगेगी। फेरी वाले पत्तों और दोने में स्वादिष्ट, मसालेदार स्नैक्स बेचते रहे तो कूड़े का पहाड़ बनने में  देर नहीं लगेगी। यातायात पुलिस मुस्तैद नहीं हुई तो फास्ट और मस्त स्पीड जानलेवा बन सकती है। किसी को दोषी बताने से बेहतर है सभी एजेंसियां अपना अपना दायित्व समझ कर काम करें और सिग्नेचर ब्रिज को खिचड़ी ब्रिज नहीं सिग्नेचर ब्रिज बनने दें।


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