"प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य" का लोकार्पण


राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने लेखन और सामाजिक कार्यों हेतु सम्मानित सुप्रसिद्ध साहित्यकार, राजनेता और पर्यावरणविद् डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक (हरिद्वार से लोकसभा सांसद तथा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री) की नवीनतम कृति "प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य" (धरती का स्वर्ग उत्तराखंड भाग-तीन) का लोकार्पण भारत के पर्यटन मंत्री श्री के.जे. अल्फोंस के कर कमलों द्वारा पर्यटन मंत्रालय के सभागार में पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ।

 

इस अवसर पर समारोह में डॉ.निशंक की सुपुत्री प्रख्यात कथक नृत्यांगना और फ़िल्म निर्माता आरुषि निशंक तथा दामाद अभिनव भी उपस्थित थे।

 

कार्यक्रम में रुड़की से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार-कवि प्रोफ़ेसर डॉ.योगेंद्र नाथ शर्मा "अरुण" ने अपनी ओजस्वी वाणी में भूमिका बाँधते हुए लोकार्पित कृति पर सारगर्भित वक्तव्य दिया। उन्होंने उपस्थित लोगों को डॉ. निशंक के व्यक्तित्व, लेखन, चिंतन, दर्शन और अध्यात्म के प्रति रुझान से परिचित करवाते हुए सार्थक बीज वक्तव्य भी दिया।

 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए आपके मित्र डॉ. विवेक गौतम ने लोकार्पित पुस्तक की विशिष्टता के साथ-साथ, लेखक डॉ.निशंक के बहुआयामी व्यक्तित्व और मुख्य अतिथि श्री के.जे.अल्फोंस के जीवन और कार्यशैली के वैशिष्टय को भी रेखांकित किया।

 

इस अवसर अपने विचार रखते हुए डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने अपनी नवीनतम किताब की रचना और उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा उत्तराखंड भारत का ही नहीं, दुनिया भर का एक बेहद खूबसूरत और सर्वगुण संपन्न भू-भाग है।देव-भूमि के रूप में प्रसिद्ध यह प्रणम्य प्रदेश अनेकानेक विशेषताओं  के साथ वनस्पतियों और बहुमूल्य जड़ी बूटियों की खान भी है।

 

भारत सरकार के माननीय पर्यटन मंत्री श्री के.जे. अल्फोंस ने अपने संबोधन में डॉ. निशंक और उनकी पुस्तक की प्रशंसा करते हुए इसे अंग्रेज़ी में भी शीघ्र प्रकाशित करने का अनुरोध किया। जिससे दुनियाभर में अधिक से अधिक लोग उत्तराखंड की पावन भूमि,इसकी धरोहरों, लोक-परंपराओं और सामाजिक संरचना से परिचित हो सकें। 

 

समारोह में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे जिनमें श्री सच्चिदानंद शर्मा, श्री राजेंद्र बिष्ट, प्रोफेसर सर्वेश उनियाल, श्री कीर्ति नवानी, डॉ प्रभाकर बडोनी, श्री रमेश कांडपाल,श्री हरीश लखेड़ा, श्री रणविजय राव,श्री राजेश नैथानी,श्री विनोद बछेती और कवि श्री बेचैन कंडियाल आदि प्रमुख थे।


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