सांसद-साहित्यकार डॉ.सत्यनारायण जटिया ने किया "झालर मोतियों की" और "चलो,रेत निचोड़ी जाए" का लोकार्पण।



विगत दिनों नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में "दिल्ली पोएट्री सर्किल" और प्रेरणा दर्पण" साहित्यिक पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में दो साहित्यिक कृतियों का लोकार्पण, समारोह के मुख्यअतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार, संस्कृतविद् और राज्यसभा सांसद डॉ. सत्यनारायण जटिया ने किया।

 

कार्यक्रम में कवि श्री प्रेम बिहारी मिश्र के मुक्तक संग्रह "झालर मोतियों की" तथा राज्यसभा में कार्यरत डॉ मनोज मोक्षेन्द्र और ओमप्रकाश कल्याणे के संपादन में प्रकाशित कविता संग्रह "चलो रेत निचोड़ी जाए" का लोकार्पण हुआ।

 

इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष के रुप में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री बालस्वरूप राही उपस्थित थे। 

विशिष्ट अतिथियों में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ.हरीश नवल, वरिष्ठ कवि श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेई, डॉ. कीर्ति काले, श्री बी.एल.गौड़, तथा समाजसेवी श्री सूरजभान कटारिया उपस्थित थे।

 

कार्यक्रम का सफल और गरिमामय संचालन "इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ऑथर्स" के सचिव तथा "उद्भव साहित्यिक संस्था" के अध्यक्ष-कवि डॉ. विवेक गौतम ने किया।

 

समारोह में अनेक रचनाकार और गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे, जिनमें फ़िल्म निर्माता-निर्देशक श्री प्रदीप जैन, लेखिका श्रीमती सूक्ष्मलता महाजन, सुश्री ममता किरण, कवि श्री मनोज अबोध, लेखिका श्रीमती रूबी मोहंती, कवि श्री अशोक मधुप, डॉ.राजीव श्रीवास्तव, श्री सरफ़राज अहमद, संपादक-कवि श्री अनुज, श्री वी.के. मनसोत्रा, कवि श्री शैल भदावरी, कवि श्री ताराचंद शर्मा "नादान", श्रीमती सुलेखा मिश्रा, सुश्री रूचि, इंजीनियर श्री अनंत प्रचेता, श्री अमोल प्रचेता, श्री कुलदीप सलिल, तथा श्री ओम सपरा प्रमुख थे।

 

 इस अवसर पर कविता संकलन "चलो रेत निचोड़ी जाए" में सम्मिलित सभी 16 कवियों को मुख्यअतिथि सांसद डॉ.सत्यनारायण जटिया के करकमलों द्वारा प्रतीक-चिन्ह देकर अलंकृत किया गया।

 

इन कवियों में डॉ.मकीन कौंचवी, डॉ.आनंद किशोर,श्री प्रेम बिहारी मिश्र, श्री प्रतीक श्रीअनुराग, श्री ओमप्रकाश कल्याणे, सुश्री लता प्रकाश, श्री सुंदर सिंह, श्री बृजेश कुमार त्यागी, श्री पीयूष कांति, श्री जितेंद्र कुमार,डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र, श्री रोहिताश कुमार रोहित, सुश्री सोमी बनर्जी, श्रीमती विजयलक्ष्मी शर्मा, सुश्री मोनिका वर्मा और श्री सुनील सिंह बिष्ट प्रमुख थे।

टिप्पणियाँ