अभिनेता, नेता, अभिनेता

हमारे देश के नेता सबसे बेहतरीन अभिनेता हैं। वे जिस पार्टी में रहें, जिस किसी पद पर रहें उसकी भूमिका बखूबी निभा लेते हैं। यह साबित हो रहा है कि उनमें अभिनय के सभी गुण हैं। वे जनता को महसूस नहीं होने देते कि जो वह कर रहे हैं, कह रहे हैं वह दिखावटी या बनावटी है। वह किसी आपदा के समय इस तरह दुख जाहिर करते हैं जैसे दर्द उन्हें ही हो रहा हो या हादसा उनके परिवार से संबंधित हो। नेताओं की इस काबलियत को देख कर  उनकी मांग गैर राजनीतिक मंच पर भी हो रही है। दिल्ली की कई विख्यात रामलीलाओं में फिल्म अभिनेताओं को कोई न कोई भूमिका देने के अब तक कुछ उदाहरण रहे हैं लेकिन राजनेताओं की अभिनय कला के मद्देनजर लाल किले के पास हर साल होने वाली लव कुश रामलीला कमेटी ने अब रामलीला में अभिनय के लिये जाने माने नेताओं को आमंत्रित किया है। नेताओं ने कहा जब हम समूचे देश और अपने प्रदेश के लिये जानदार एक्टिंग कर सकते हैं तो रामलीला में अभिनय आसानी से कर लेंगे, यह सोच कर वे जनमंच पर अभिनय करने को राजी हो गये हैं। केन्द्रीय मंत्री- डा. हर्षवर्धन और विजय सांपला, दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और दिल्ली विधान सभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता रामलीला में रटे हुये संवाद बोलते और एक्टिंग करते दिखायी देंगे हालांकि राजनीतिक मंच पर तो उन्हें बिना रटे कुछ भी कहने की आदत होती है। आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने शायद यह सोच कर एक्टिंग करने से इंकार कर दिया होगा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र में ऐसा करना अच्छा नहीं लगता। हो सकता है अंगद का रोल करने के बाद मनोज तिवारी का राजनीति में जमा पांव कोई हिला न सके और डा. हर्षवर्धन को रामलीला में राजा जनक के रूप में कन्यादान करने का फल आजीवन मिलता रहे।   


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