मेट्रो पर रार

विश्व में बेहतरीन मेट्रो में एक है—हमारी दिल्ली मेट्रो । विदेशी जब  इसमें यात्रा करते हैं तो इसका आधुनिक सैट अप देख दंग रह जाते हैं। अब तक इसका विस्तार बिना किसी बड़ी बाधा के हुआ है और न ही किसी चरण का काम शुरू होने में कभी अधिक देरी हुयी है। किसी चरण की मंजूरी और इस पर काम शुरु करने में कभी इतनी देरी नहीं हुयी जितनी अब हो रही है। इस बार चौथे चरण की मेट्रो के काम पर ग्रहण लगा हुआ है। न जाने कब काम शुरू होगा। एक साल से दिल्ली मेट्रो की किराये पर ली गयीं मशीनें आराम कर रही हैं और मेट्रो उनका किराया  दे रहा है। जब तक काम शुरू नहीं होगा किराया जारी रहेगा। चौथे चरण में 6 लाइन चालू की जानी हैं जिनकी लंबाई 104 किलोमीटर है और इन पर 79 स्टेशन बनने हैं। सबसे अहम बात यह है कि चौथे चरण की सेवाओं से तुगलकाबाद, वजीराबाद, भजनपुरा, रोहिणी, रिठाला, नरेला, बवाना क्षेत्र के गांवों, कच्ची कालोनियों तथा गरीब बस्तियों के लाखों निवासियों को फायदा होगा। इस चरण के काम में हो रही देरी के कारण लाखों लोग  मेट्रो सेवा से वंचित हो रहे हैं। देरी के कारण पर हम राजनीतिक चर्चा नहीं करना चाहते जनता का मानना है कि इस चरण का काम जल्द से जल्द शुरू किया जाये ताकि लोगों को नई लाइनों की सेवा मिलने लगे। कहा जा रहा है कि मेट्रो से होने वाले लाभ और हानि के नुकसान के बंटवारे पर दिल्ली में स्थित दो सरकारों के बीच मतभेद हैं। इसके अलावा केन्द्रीय बजट मे मेट्रो के चौथे चरण के लिये प्रावधान नहीं किया गया। हो सकता है नियमित बजट में ऐसा प्रवधान किया जाये क्योंकि अंतरिम बजट की सीमायें होती होंगी। जहां तक लाभ हानि की रकम के बंटवारे का मुद्दा है , इसको राजनीतिक रंग देने से दिल्ली का नुकसान होगा, इस चरण की सेवायें देरी से चालू होंगी, काम देरी से शुरू होगा तो लागत बढ़ेगी। यह भी पता चला है कि एक ग्रामीण संगठन ने कहा है कि अगर इस मुद्दे का हल नहीं निकाला गया तो वे चुनाव में नोटा का साथ देंगे इसलिये बेहतर है कि जब हर मुद्दे का समाधान बातचीत से हो सकता है तो इस मुद्दे पर भी दोनों सरकारें मिल कर विचार विमर्श करें तो निश्चित तौर पर हल निकलेगा। जनहित की महत्वपूर्ण परियोजना में देरी से मुद्दा यानी सवाल बड़ा बनेगा इसलिये जल्द हल निकालना जरूरी है।


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